पाकिस्तान बोला, भारत का कश्मीर पर फैसला एकतरफा Pakistan said, India’s decision on Kashmir is one-sided
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद
पाकिस्तान मीडिया ने भारत प्रशासित कश्मीर पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है. पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने भी सोमवार को इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संघर्ष है जो 70 वर्षों से अधिक समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में है.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का अंतिम निर्णय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के अनुसार किया जाना चाहिए. भारत के पास कश्मीरी लोगों और पाकिस्तान की इच्छा के विरुद्ध विवादित क्षेत्र के संबंध में एकतरफा निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है.
पाकिस्तान के उर्दू न्यूज के अनुसार,जलील अब्बास जिलानी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संविधान की सर्वोच्चता को नहीं मानता है. भारत के संविधान के तहत किसी भी अधिनियम का कोई कानूनी महत्व नहीं है.भारत घरेलू कानून और न्यायिक निर्णयों के बहाने अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता. जम्मू-कश्मीर को अपने नियंत्रण में लेने की भारत की योजना विफल हो जाएगी.’’
पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने कहा कि विकृत ऐतिहासिक और कानूनी तर्कों के आधार पर भारत की 5 अगस्तए 2019 की एकतरफा और अवैध कार्रवाइयों को न्यायिक मान्यता देना न्याय प्रणाली का मजाक उड़ाने के समान है.उन्होंने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की. कहा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला जम्मू-कश्मीर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवाद को समझने में विफल रहा है. यह कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में भी विफल रहा है, जिन्होंने पहले ही 5 अगस्त 2019 की भारत की अवैध और एकतरफा कार्रवाई को खारिज कर दिया है.
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली प्रशासित जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के राष्ट्रपति के आदेश को बरकरार रखने के भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी व्यक्त की. वहीं कश्मीरी नेताओं ने इसे निराशाजनक बताया.भारत प्रशासित कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले को लेकर सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट में कहा, मैं निराश हूं, लेकिन दिल टूटा नहीं है. संघर्ष जारी रहेगा.
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी को यहां तक पहुंचने में कई दशक लग गए. हम लंबी यात्रा के लिए भी तैयार हैं.उधर, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया है.एक्स पर ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला ऐतिहासिक है और संवैधानिक रूप से 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद के फैसले को बरकरार रखता है. यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक अद्भुत घोषणा है.
आज का फैसला सिर्फ कानूनी फैसला नहीं है. यह आशा की किरण है.उज्जवल भविष्य का वादा है. एक मजबूत और अधिक एकजुट भारत के निर्माण के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रमाण है.भारत प्रशासित कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर एक वीडियो संदेश में कहा कि मेरे प्यारे हमवतन, हिम्मत मत हारो. उम्मीद मत खोओ. जम्मू-कश्मीर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला कठिन जरूर है, लेकिन एक पड़ाव है. हमारी मंजिल नहीं. इसे कोई गंतव्य समझने की भूल न करे. हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद छोड़ दें और विनम्रतापूर्वक हार स्वीकार कर लें. ऐसा नहीं करना है.
उन्होंने कहा, आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 370 अस्थायी है, इसलिए इसे हटा दिया गया. यह हमारी हार नहीं, बल्कि भारत की अवधारणा की हार है.पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल.एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने जम्मू-कश्मीर को लेकर भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है.मुस्लिम लीग-एन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, शाहबाज शरीफ ने कहा कि 5 अगस्त 2019 जैसे भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कोई हैसियत नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के खिलाफ है, इसलिए यह फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय देकर अपराध किया है.हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसले में कहा है कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति केंद्र की सहमति से संविधान के सभी प्रावधानों को लागू कर सकते हैं. इसकी मंजूरी लेने की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक अस्थायी उपाय है.इसलिए जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए.सुप्रीम कोर्ट ने भारत के चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू.कश्मीर में चुनाव कराने का भी आदेश दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है,‘‘जम्मू-कश्मीर में स्वायत्तता का कोई तत्व नहीं है यह आंतरिक रूप से स्वतंत्र नहीं है. अनुच्छेद 370 असंगत संघवाद का एक रूप है न कि संप्रभुता का. पाकिस्तान के अखबार जंग और डान ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए इसे अमान्य करार दे दिया.