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Plasma donors इकबाल ने बाइक से किया लंबा सफर, मुसलमान प्लाजमा देने में सबसे आगे

ऐसे प्रदेश से सूचना छनकर आई, जिसके बारे में एक वर्ग विशेष दुष्प्रचारित करता है कि वहां के लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।

कोरोना संक्रमितों की जान बचाने के लिए जब प्लाजमा डोनर को प्रोत्साहित करने की बाबत नौकरी में प्राथमिकता एवं मोटी रकम देने का लालच दिया जा रहा, ऐसे में इकबाल भट्ट ने मानवता की बड़ी मिसाल कायम की है। उन्होंने प्लाजमा डोनेट करने के लिए मोटरइकिल पर लंबी दूरी तय की। वैसे, प्लाजमा दान करने में अब तक सर्वाधिक बड़ा दिल मुसलमानों ने ही दिखाया है।
   तब्लीग जमात के लोग प्लाजमा दान करने में सबसे आगे हैं। यहां तक कि उन संगठनों से भी, जो आपदाओं में मानव सेवा के लिए सर्वथा आगे रहने का दम भरते हैं। शुरूआती दौर में ऐसे ही संगठनों ने देश में कोरोना संक्रमण के फैलाव के लिए तबलीग़ जमात को जिम्मेदार ठहराते हुए अनर्गल प्रचार किए थे। पहलवानी से सियासत र्में आइं भारतीय जनता पार्टी की बबीता फौगाट और कंगना रनाउत की बहन रंगोली चंदेल तो जमातियों को ‘सुअर’ तक कह चुकी हैं। अब उन्हीं जमातियों की ओर लोग उम्मीद भरी नजरांे से देख रहे हैं। दिल्ली में जुलाई की दो तारीख को देश का पहला प्लाजमा बैंक स्थापित किया गया, जो प्लाजमा के टोटे से जूझ रहा है। मांग के अनुरूप बैंक में डोनर नहीं आ रहे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि यदि डोनर आगे नहीं आए तो प्लाजमा बैंक की सार्थकता पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।

-जमात की पहल

दिल्ली ही नहीं ऐसे हालात देश के बाकी प्रदेशों में भी है। डोनर ढूंढे नहीं मिल रहे। कोनोरा से लड़कर ठीक हुए लोग प्लाजमा देने को तैयार नहीं। इस परेशानी से उबरने के लिए असम सरकार को प्लाजमा दाता को नौकरी में प्राथमिकता देने का ऐलान करना पड़ा। असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वास कहते हैं कि प्लाजमा देने वालों को नौकरी के लिए साक्षात्कार में अतिरिक्त अंक दिए जाएंगे। आंध्र प्रदेश सरकार प्रत्येक प्लाजमा डोनर को पांच हजार की मोटी रकम दे रही है। बावजूद इसके सरकारों की परेशानियां कम होती नहीं दिख रहीं। देश में अब तक कोरोना से 37,364 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में तबलीग़ जमात ने ठोस पहल की है। इसके मुखिया मौलाना साद ने चिट्ठी जारी कर जमातियों को प्लाजमा डोनेट करने के लिए आगे आने को कहा है। इसके बाद गुजरात में 40 जमाती कोरोना संक्रमण से निजात पाते ही प्लाजमा डोनेट करने अस्पताल पहुंच गए। एक मौलवी अब तक आठ बार प्लाजमा डोनेट कर चुके हैं। मुंबई में धारा वी के मुसलमान प्लाजमा दान करने में आगे हैं। विश्व की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारा वी में मुसलमानों की बड़ी आबादी रहती है। मुंबई में सर्वाधिक संक्रमण और मौतें इन्ही घनी बस्तियों में हुई हैं। यही लोग अब प्लाजमा दे रहे हैं। कोरोना से ठीक हुए 70 प्रतिशत लोगों ने प्लाजमा दान करने के लिए अपना नाम पंजीकृत कराया है।

pic social media

इकबाल का कारनामा

  इन खबरों के बीच एक ऐसे प्रदेश से सूचना छनकर आई, जिसके बारे में एक वर्ग विशेष दुष्प्रचारित करता है कि वहां के लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। जम्मू कश्मीर के कुलगाम जिले के दहमल हांजीपोरा के इकबाल भट्ट कोरोना संक्रमित हो गए थे। ठीक होते ही 80 किलोमीटर बाइक की सवारी कर श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस पहुंच गए। कोरोना से लड़कर ठीक हुआ व्यक्ति शारीरिक रूप से थोड़ा कमजोर हो जाता है। बावजूद इसके इकबाल न केवल लंबा सफर तय कर श्रीनगर पहुंचे, अपना प्लाजमा भी डोनेट किया। वह भी एक अंजान व्यक्ति को। उनके इस मानव सेवा भाव की खूब प्रशंसा हो रही है। गुलाम नबी खान ने ट्वीट कर उन्हें ‘रियल हीरो’ बताया, जबकि अली शारिब अल्लाह से उनकी सलामती की दुआ करते हैं। इकबाल भट्ट की कहानी कश्मीर की चर्चित फोटो जर्नलिस्ट मुसर्रत जहरा ने जब ट्वीटर पर साझा किया तो तारीफों की झड़ी लग गई। सोशल मीडिया पर अब तक यह जानकारी 664 बार रिट्वीट हो चुकी है।  

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संपादक