शबे बारात पर तब्लीग जमात मरकज में इबादत की इजाजत, लगाई गई शर्तें दिल्ली पुलिस की नियत पर सवाल
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद तब्लीगी जमात मरकज की बंगलावाली मस्जिद की चार मंजिलों को शबे बारात पर इबादत के लिए खोलने की अनुमति दे दी है. मगर इसके लिए कई शर्तें लगाई गई हैं. इनमें से कई शर्तें ऐसी हैं जो गैरवाजिब सी लगती हैं. इन शर्तों में सामाजिक दूरी का पालन करने, सीसीटीवी कैमरे लगाने और इबादत में विदेशियों को आने की मनाही, शामिल हैं.
मजे की बात है कि यह ऐसी शर्तें हैं जिसका पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश में चुनाव और कई तीज त्योहारों में पालन पालन कराने बिल्कुल नहीं देखा गया. आज भी मार्केट, मेट्रो और सर्वाजनिक बसों में इसको लेकर कोई बंदिश नहीं है. जाहिर सी बात है कि मरकजे के लिए इस तरह की शर्तें कुछ अच्छा संदेश नहीं देने वालीं.
हालांकि, वीडियोग्राफी के लिए मनाही की गई है. इससे पहले दिल्ली पुलिस और वक्फ बोर्ड में शर्तों को लेकर असहमति थी, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कई शर्तों में बदलाव किया. उनमें से कई को पूरी तरह से हटा दिया.
दिल्ली पुलिस का नजरिया सवालों में
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के वकीलों को विभिन्न शर्तें लगाकर तब्लीगी जमात खोलने का प्रस्ताव दिया था, जिसमें कई शर्तें ऐसी थीं जिन्हें पूरा करना मस्जिद प्रशासन या वक्फ बोर्ड के लिए आसान नहीं था.उनमें से एक शर्त थी कि मस्जिद की हर मंजिल पर केवल 100 लोग ही नमाज अदा करेंगे. कोई और मस्जिद में प्रवेश नहीं करेगा. जाहिर तौर पर दिल्ली में सभी पूजा स्थल पहले ही खुल चुके हैं और किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस शर्त पर आपत्ति जताते हुए इस शर्त को पूरी तरह से हटा दिया. केवल निर्देश दिया गया था कि नमाजियों की संख्या सामाजिक दूरी के अनुसार तय की जाएगी. सामाजिक दूरी से नमाज अदा की जाएगी.दिल्ली पुलिस की शर्तें इसलिए सवाल के घेरे में हैं कि इस समय मेट्रो से लेकर ट्रेन, बसों, बाजारों, दूरे धर्मस्थलों में किसी तरही की कोई बंदिश नहीं है. लोग एक दूसरे पर चढ़े जा रहे हैं, पर मर्कज खोलने के लिए ऐसी शर्त रखी गई है.
विदेशी पर्यटक आएं पर तब्लीग के लोग नहीं
दिल्ली पुलिस का यह शर्त भी बेहद अटपटा सा है. इस शर्त के मुताबिक कोई भी विदेशी मस्जिद में प्रवेश नहीं करेगा. इस शर्त पर आपत्ति जताई गई थी कि जांच करना और पता लगाना मुश्किल है, जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस शर्त को केवल नोटिस जारी करने तक सीमित कर दिया कि विदेशियों को मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. जो लोग आ रहे हैं उनके नाम और पते जानने के लिए एक रजिस्टर बनाना,
उन्हें रजिस्टर में दर्ज करना बहुत मुश्किल है, जिस पर आपत्ति थी क्योंकि लोग इबादत करने के लिए आ रहे हैं. ऐसे किसी धार्मिक स्थान पर नहीं हो रहा है, कहीं और नहीं हो रहा है. यह शर्त इस लिए भी गलत संदेश देने वाला है कि एक तरफ कोरोना की चाल धीमी पड़ने के बाद पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के नुस्खे आजमाए जा रहे हैं, दूसरी तरह जमात में आने वाले विदेशियों को लेकर शर्तें लगाई जा रही हैं.
जबकि अब तक मरकज में ऐसी कोई बात नहीं हुई जिससे विदेशी तब्लीगियों के इकट्ठा होने या उनकी कारगुजारियों को लेकर सवाल उठाया जाए.
टीका की शर्तें भी बेमानी
इसके अलावा, एक शर्त रखी गई है कि जिन लोगों को टीका लगाया गया है, वे ही मस्जिद में प्रवेश करेंगे. जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इसकी जांच करना और सुनिश्चित करना संभव नहीं था, जिसके बाद इस शर्त को हटा दिया गया. अब केवल शरीर का तापमान और सैनिटाइजर आदि का प्रयोग किया जाएगा.
दिल्ली वक्फ बोर्ड के वकील वजीह शफीक ने कहा कि फिलहाल अनुमति सिर्फ शबे बारात के लिए दी गई है. रमजान के लिए 30 मार्च को सुनवाई होगी. इससे पहले, दिल्ली वक्फ बोर्ड फिर से आवेदन करेगा और पुलिस के साथ सुलह करेगा.गौरतलब है कि पिछले साल केवल 50 लोगों को ही शब-ए-बरात और रमजान में इबादत की इजाजत दी गई थी.