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पैगंबर का संदेश: दाढ़ी बढ़ाओ, मूंछें छोटी करो

दाढ़ी और मूंछें पुरुषों का स्वाभाविक लक्षण हैं जो युवावस्था के बाद चेहरे पर उगना शुरू होती हैं और समय के साथ बढ़ती जाती हैं. इस्लाम में दाढ़ी और मूंछों को रखने के संबंध में पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की शिक्षाओं और मार्गदर्शन का विशेष महत्व है.

हदीसों के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दाढ़ी को बढ़ाने और मूंछों को छोटा रखने का आदेश दिया था.

दाढ़ी का महत्व और अनिवार्यता

इस्लामी न्यायशास्त्र में विभिन्न विद्वानों के अनुसार, दाढ़ी को बढ़ाना एक आवश्यक (वाजिब या फर्ज़) कार्य माना गया है. हनफ़ी न्यायशास्त्र के विद्वानों के अनुसार, दाढ़ी रखना वाजिब है. यानी इसे रखना अनिवार्य है. वहीं, सऊदी अरब और हनबली विद्वानों के मतानुसार, दाढ़ी रखना फर्ज़ है. इसे काटना या शेव करना मना है.

इन विद्वानों के अनुसार, दाढ़ी एक धार्मिक पहचान और सुन्नत है जो पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की परंपरा को बनाए रखता है.

मूंछें छोटी रखने का निर्देश

पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मूंछों को छोटा रखने का आदेश दिया, ताकि मुसलमान बहुदेववादियों और अग्निपूजकों से अलग दिखें. हदीस में उल्लेखित है: हज़रत इब्न उमर (रजि. अ.) से रिवायत है कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा, “बहुदेववादियों के विपरीत करो: दाढ़ी को लंबा रखो और मूंछों को छोटा करो.” (बुखारी, हदीस: 5892; मुस्लिम, हदीस: 259).

इसी तरह, एक अन्य हदीस में पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा, “मूंछें काट लो और दाढ़ी बढ़ाओ ताकि अग्निपूजकों से अलग रहो।” (मुस्लिम, हदीस: 260).

पैगंबर मुहम्मद की दाढ़ी का उल्लेख

कई हदीसों में पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की दाढ़ी का उल्लेख मिलता है, जिससे पता चलता है कि उनकी दाढ़ी घनी और भरी हुई थी. हज़रत अली (रजि. अ.) ने कहा कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की दाढ़ी बहुत घनी थी (अहमद). जाबिर इब्न समुरा (रजि. अ.) ने उल्लेख किया कि पैगंबर की दाढ़ी में भरपूर बाल थे. इससे स्पष्ट होता है कि दाढ़ी रखना न केवल धार्मिक रूप से अनुशंसित था, बल्कि यह पैगंबर की सुन्नत भी थी.

इस्लामिक न्यायविदों की दाढ़ी पर परिभाषा

इस्लामिक न्यायविद इस बात पर सहमत हैं कि दाढ़ी, दोनों जबड़ों की दांतों वाली हड्डियों पर और कानों व आंखों के बीच उगने वाले बालों की पंक्ति को कहते हैं. कई न्यायविदों का मानना है कि दाढ़ी में निचले होंठ, गाल और ठोड़ी पर उगने वाले बाल भी शामिल हैं, इसलिए इन्हें काटना या उखाड़ना अनुचित है.

इस्लामिक कानून के अनुसार, दाढ़ी चेहरे की एक महत्वपूर्ण विशेषता है और इसे पूरा रखना धार्मिकता का हिस्सा है.इस प्रकार, दाढ़ी और मूंछों के संबंध में इस्लामी परंपराओं में विस्तार से मार्गदर्शन दिया गया है.

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