Reshma Pathan: भारतीय सिनेमा की पहली stuntwoman artist की अनकही दास्तान
यूसुफ तहमी, दिल्ली
हाल में रियलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के एक खास कार्यक्रम में होस्ट और मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन ने ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालानी को इनवाइट किया था. शो की खास बात यह थी कि इसमें एक ऐसी अभिनेत्री को भी आमंत्रित किया गया था, जिसने शोले में हेमा मालिनी के लिए स्टंट किया था.
जो लोग फिल्मों की बारीकियां जानते हैं और फिल्म निर्माण में रुचि रखते हैं, उन्हें पता होगा कि बड़े अभिनेताओं के बॉडी डबल होते हैं जो उनके लिए खतरनाक काम करते हैं.तो जिस अभिनेत्री को शो के सेट पर आमंत्रित किया गया था वह कोई और नहीं बल्कि साहस औ की प्रतिमूर्ति रेशमा पठान थीं.
रेशमा पठान ने हेमा मालिनी की शैली की प्रशंसा की. कहा कि उन्होंने सेट पर कभी भी उनके साथ एक जूनियर कलाकार की तरह व्यवहार नहीं किया, बल्कि एक कलाकार की तरह व्यवहार किया. यह उनकी सबसे अच्छी यादों में से एक है.यूं तो मैरी एन इवांस को भारतीय सिनेमा की पहली स्टंट महिला के रूप में याद किया जाता है, लेकिन असल में वह मुख्य अभिनेत्री थीं. वह सबसे खतरनाक सीन खुद करती थीं, यही वजह है कि उन्हें भारतीय सिनेमा में ‘फियरलेस नादिया’ के नाम से जाना जाता है. उनका जन्म ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हुआ था और जब वह भारत आईं तो यहीं रुकीं.
फियरलेस के बारे में हम फिर कभी बात करेंगे. आज हम बात कर रहे हैं रेशमा पठान की, जिन्हें शोलेमें उनके खतरनाक स्टंट के लिए ‘फ्लेम गर्ल’ के नाम से याद किया जाता है. इसी नाम से उनकी जिंदगी पर एक फिल्म भी बन चुकी है.
पिछले साल
पिछले साल रियलिटी शो ‘इंडियाज बेस्ट डांसर’ के दूसरे सीजन ‘110 इयर्स ऑफ सिनेमा’ में उन्हें भारत की पहली महिला स्टंटवुमन के रूप में सराहा और सम्मानित किया गया था.गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रेशमा पठान का जन्म एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में हुआ था. वह पाँच बच्चों में सबसे बड़ी थी. घर के आस-पास की सड़कें और गलियाँ उसके खेल का मैदान थीं. वह निडर होकर मूर्तियों पर चढ़ जाती थी और सभी प्रकार के खतरनाक स्टंट करती थी.
वह बेहद गरीबी में जी रहे थे. पिता बीमार थे और एक दिन उनकी माँ को कपड़े, चावल और अन्य सामान चुराने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया . फिर घर की ज़िम्मेदारी 13-14 साल की रेशमा पर आ गई.रेशमा का मुख्य लक्ष्य पर्याप्त पैसा कमाना था ताकि उसका परिवार सम्मानजनक जीवन जी सके.
उनके पड़ोसियों में से एक स्टंट निर्देशक एस.अज़ीम थे और वह उनके परिवार की स्थिति से अवगत थे.वह रेशमा के कारनामों से भी अवगत थे इसलिए उन्होंने 14 वर्षीय लड़की को स्टंट महिला बनने का सुझाव दिया.रेशमा के पिता ने पहले तो विरोध किया, लेकिन फिर मौके की नज़ाकत को देखते हुए चुप हो गये. फिल्मफेयर मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में रेशमा पठान ने कहा कि उनके पिता उनकी सुरक्षा के लिए इस पेशे के खिलाफ थे. उनके जीवन का कोई इनाम नहीं था.
लेकिन रेशमा का मुख्य उद्देश्य पर्याप्त पैसा कमाना था ताकि उसका परिवार सम्मानजनक जीवन जी सके.उन दिनों पुरुष महिलाओं के लिए खतरनाक काम करते थे. उनके बॉडी डबल हुआ करते थे, लेकिन रेशमा के मैदान में आने से वे नाराज हो गए.रेशमा का कहना है कि उन्होंने अब तक 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है,उन्होंने अपना पहला स्टंट अभिनेत्री लक्ष्मी छाया के लिए फिल्म ‘एक खिलाड़ी बाण पटले’ में किया था. यह एक डांस सीक्वेंस था जिसमें एक्ट्रेस गिर स्टेज से नीचे गिर जाती है.
पठान ने स्टंट को एक ही टेक में पूरा किया. इस तरह अपनी स्थिति मजबूत कर ली.एक इंटरव्यू में वह कहती हैं कि ‘मैंने 175 रुपये की दैनिक मजदूरी से शुरुआत की थी. मेरे हाथ में 100 रुपये हुआ करते थे. और बाकी ट्रांसपोर्ट में चला जाता था.लेकिन मैं खुश था. अगर मैं ग्रेजुएशन कर लेता तो भी मैं इतना पैसा नहीं कमा पाता. अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करना मेरी पहली प्राथमिकता थी.
इस फिल्म के बाद उन्होंने मीना कुमारी, रेखा, हेमा मालिनी, मौसमी चटर्जी, शर्मिला टैगोर, नीतू सिंह और मुमताज जैसी अभिनेत्रियों के लिए बॉडी डबल के रूप में भी काम किया.हिंदी अखबार भास्कर को दिए इंटरव्यू में रेशमा पठान ने खुलासा किया कि उन्हें सेट पर किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था।.
रेशमा ने बताया कि काफी चोटें आईं. जमीन पर कंकड़-पत्थर साफ करने के बाद भी उन्हें ठोस जमीन पर गिरना पड़ा. हाई जंप सीन में कुछ लोग जाल पकड़कर खड़े हो जाते थे. फिर स्टंट आर्टिस्ट को ऊपर से छलांग लगानी होती थी.हमारा शरीर हमेशा घायल रहता था. लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते थे. अगर हमने विरोध किया होता तो हमें नौकरी कौन देता? हमारा काम ऐसे स्टंट करना था जिसमें चोट लगना लाजमी था.
उन्होंने कहा कि उन्हें कभी-कभी झाड़ियों में कपड़े बदलने पड़ते थे, जहां उन्हें कीड़ों से जूझना पड़ता था. रेशमा ने बताया कि एक बार उन्हें ऐसी चोट लगी कि वह ठीक से शौच भी नहीं कर पाईं.उन्होंने कहा कि उनके समय में स्टंट कलाकारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. सुरक्षा सुविधाएं भी कम उपलब्ध थीं. पुरुष स्टंट कलाकार तो फिर भी किसी तरह गुजारा कर लेते थे, उनके लिए दिक्कतें और भी थीं. वह छेड़छाड़ की घटना का पुरजोर विरोध करती थी.एक बार रेशमा सुभाष घई से नाराज हो गई थीं. दरअसल, सुभाष घई फिल्म शूटिंग कर रहे थे. ट्रक से दुर्घटना स्थल दिखाया जाना था. रेशमा फिल्म की एक्ट्रेस की बॉडी डबल थीं.
सुभाष घई ने ड्राइवर से कहा कि जब ट्रक रेशमा के पास आएगा तो वह इशारा कर देंगे. सिग्नल देखकर समझ जाएं कि ट्रक को रोकना है. गोली चल गई लेकिन सुभाष घई ने इशारा नहीं किया. ट्रक चालक ने गाड़ी नहीं रोकी और रेशमा को टक्कर मार दी. रेशमा दूर जा गिरी. उनकी पीठ में गहरी चोट आई है. उन्होंने सबके सामने सुभाष घई से अपनी नाराजगी जाहिर की. रेशमन लंबे समय तक इस पीठ की चोट से जूझते रहे.
फिल्म शोले में तांगे पर लंबी दौड़ और कैच सीन के बाद उन्हें ‘शोले गर्ल’ नाम दिया गया. पठान पूरी गति से तांगा चला रहा था, तभी वह एक चट्टान से टकराया और उसके पहिए निकल गए, जिससे वह गिरकर घायल हो गई. उन्हें टांके भी लगे.आराम करने की सलाह दी गई, लेकिन चेतावनी के बावजूद, वह तुरंत काम पर वापस चली गईं और इस तरह यह क्रम पूरा किया.
1980 में उन्होंने स्टंट डायरेक्टर शकूर पठान से शादी की और अचानक उनकी दुनिया तबाह हो गई जब 1984 में फिल्मों में स्टंट पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित हुआ. इस कठिन समय में उनकी बचत की आदत काम आई.स्टंट कार्य से संन्यास लेने के बाद उन्होंने फिल्म उद्योग नहीं छोड़ा. वे अभी भी काम करते हैं. रेशमा पठान स्टंट आर्टिस्ट यूनियन में शामिल होने वाली पहली महिला थीं.