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रियाद के किंग फैसल सेंटर फॉर रिसर्च एंड इस्लामिक स्टडीज में मजहबी पांडुलिपियां की प्रदर्शनी शुरू, अगले साल तक चलेगी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, रियाद

रियाद के किंग फैसल सेंटर फॉर रिसर्च एंड इस्लामिक स्टडीज में मजहबी, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और दार्शनिक ज्ञान से संबंधित प्राचीन पांडुलिपियों की प्रदर्शनी शुरू हुई. यह हमेशा से शोध करने वालों के आकर्षण का केंद्र रही हैं. प्रदर्शनी अगले साल तक चलेगी. यह पांडुलिपियां तब की हैं, जब सन 1400 में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार नहीं हुआ था. तब लेखनों ने अपनी पांडुलिपियों से धार्मिक और शैक्षणिक समृद्ध अंतर्दृष्टि प्रदान की. इसके माध्यम से बताया कि कैसे कई शताब्दियों में मध्य पूर्वी सभ्यताओं का जन्म और विकास हुआ.

ये हस्तलिखित ग्रंथ, जिनमें से कई कुशल सुलेखकों द्वारा खूबसूरती से सजाए गए हैं, अलंकृत चित्रों और उनके युग के लिए विस्तृत मानचित्रों के साथ, आज भी लाइब्रेरियन, वैज्ञानिकों, पुरालेखपालों और क्यूरेटर द्वारा सुरक्षित रखे हुए हैं.

इस्लामिक कसीदे से लेकर तौरत, बाइबल और कुरान के शुरुआती संस्करणों तक सब कुछ यहां संकलित कर रखा गया है. यहां इस तरह की कलाकृतियों का एक व्यापक पुस्तकालय है, जिसमें 28,500 से अधिक दुर्लभ भौतिक पांडुलिपियां और 120,000 फोटोग्राफ शामिल हैं.

1983 में स्थापित, केंद्र फैसल परिवार अभिलेखागार के लिए एक भंडार के रूप में कार्य करता है और आज इसे मानविकी और सामाजिक विज्ञान में योगदान के लिए किंगडम में सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संग्रहों में से एक माना जाता है.

फरवरी 2023 में समाप्त होने वाली केएफसीआरआईएस की साल भर चलने वाली यह प्रदर्शनी दुनिया के कुछ दुर्लभ अरबी और इस्लामी ग्रंथों को प्रदर्शित कर रही है, जिसमें 36 पांडुलिपियां और मुद्रित कार्य शामिल है. इन्हें अभिलेखागार में रखे 178,500 मूल और फोटोग्राफ से चुना गया है.

अरबी में सिफर के लिए बहुवचन के नाम पर रखी गई प्रदर्शनी, एक कुरानिक शब्द है, जिसका अर्थ बड़ी किताब है. केंद्र के संग्रहालयों के निदेशक राशा इब्राहिम अल-फवाज ने बताया, असफर शब्द का अर्थ यात्रा  होता है, जहां आगंतुक एक पुस्तक की सामग्री के माध्यम से यात्रा कर सकता है.प्रदर्शनी में रखी गई दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों को अलग-अलग छह खंडों में विभाजित किया गया है.