Muslim World

मैक्राॅन के बयान के बाद अब शार्ली ऐब्डो का विवादास्पद कार्टून, फ्रांसीसी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार तेज

पैगंबर मोहम्मद साहब (The Prophet Muhammad) के बारे में फ्रांस के राष्ट्रपति के अप शब्द कहने से देश-दुनिया के गरमाए माहौल में फ्रांसीसी पत्रिका ‘शार्ली ऐब्डो’ में छपे एक कार्टून ने घी का काम किया. हालांकि इसके काटूर्न में सीधे पैगंबर साहब पर हमला नहीं , पर अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें निशाना बनाने की कोशिश की गई है.
‘शार्ली ऐब्डो’ (Charlie Hebdo) के मुख्य पृष्ठ पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रौन (Emmanuel Macron) के पैगंबर मोहम्मद के बारे में गैरमुनासिब टिप्पणी करने पर सर्वाधिक कड़ा रूख अपनाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन (Tayyip Erdoğan) का कार्टून प्रकाशित किया गया है. उसमें वह अर्धनंगी अवस्था में कुर्सी पर बैठे एक बुर्कानशी महिला का पीछे से बुर्क़ा उठाते दिख रहे हैं. साथ ही फ़्रेंच भाषा में लिखा है-‘ ले मोहम्मदी’. इस कार्टून पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है. लोगों का गुस्सा फ्रांस के राष्ट्रपति के प्रति कई गुना बढ़ा है. इसके विरोध में 29 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के बरैली में दरगाह-ए-अलजरत से जमात रजा मुस्ताफा के आहवान पर रैली निकाली गई. पड़ोसी बांग्लादेश सहित मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में भी ऐसी रैलियों के आयोजन का सिलसिला बरकरार है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फ्रांस के राष्ट्रपति के रवैये के प्रति गुस्से का इज़हार करने कों दो पृठों की चिट्ठी लिखी है. सउदी मुल्कों ने भी कड़ा ऐतराज जताया है. ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है, पैगंबर मोहम्मद साहब का अपमान, सारे मुसलमानों का अपमान है.Rouhani: ‘Insulting the Prophet is insulting all Muslims’.

pic social media

फ्रांसीसी प्रोडक्ट की बिक्री गिरी

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्राॅन और वहां की पत्रिका ‘शार्ली ऐब्डोे’ के ‘पैगंबर मोहम्मद’ विरोधी रूख के चलते दुनिया भर के मुसलमानों ने फ्रांसीसी प्रोडक्ट के बहिष्कार का अभियान छेड़ रखा है. फ्रांस के प्रोडक्ट की लिस्ट जारी कर उसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है. भारत में भी यह अभियान सोशल मीडिया पर जारी है. कुछ लोगों ने फ्रांसीसी प्रोडक्ट के आंकड़े पेश किए हैं, जो इशारा करते हैं कि उनकी बिक्री तेजी से नीचे आई है.

देवी-देवता के अपमान के विरोधी फ्रांस के साथ

उधर, देश-दुनिया में एक ऐसा तबका भी सक्रिय है, जो न केवल फ्रांस का समर्थन कर रहा, मोहम्मद साहब और इस्लाम पर चोट करने वाले तस्वीर, कार्टून, वीडियो, कुरान के कुछ अधूरे कोट सोशल मीडिया पर साझा कर रहा. फ्रांस के लाॅकि हाईके ने कुरान के 11 कोट के हवाले से सवाल पूछे हैं. उन्होंने लिखा-‘क्या यही इस्लाम शांति का मज़हब है.’ इस्लाम एवं पैगंबर मोहम्मद का मज़ाक उड़ाने वालों में कुछ हिंदूवादी संगठन भी हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रसांत मोहपात्रा ने एक चीनी फिल्म का फुटेज साझा किया है, जिसमें मोहम्मद साहब की तस्वीर दिखाने का दावा है. यह विरोधाभास ही है कि हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर या प्रतिमा के अपमान की मुखालफत में सड़कों पर आने वाले एक ऐसे ही मुद्दे पर फ्रांस के साथ खड़े हैं.

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संपादक

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