Religion

क्या आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ‘इमाम ए हिंद’ के नाम पर मुसलमानों में भ्रम फैला रहे हैं ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

क्या आरएसएस नेता भगवान राम, अरब और ‘इमाम ए हिंद’ के नाम पर मुसलमानों में भ्रम फैला रहे हैं ? यह सवाल इस लिए उठा है कि उन्होंने धनतेरस के दिन दिल्ली की निजामुद्दीन दरगाह पर जाकर भगवान राम और इमाम ए हिंद के नाम पर कुछ ऐसी बातें कह दी हैं जिससे मुसलमान खफा हैं.

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने कहा है कि चूंकि भगवान राम इमाम ए हिंद हैं इसलिए अयोध्या में रामलला के विराजमान होने पर 22 जनवरी 2024 को मुसलमानों को भी अपने घरों पर दिए जलाने चाहिए.

यहां पाठकों को बता दूं कि करीब 112 साल पहले भारत-पाकिस्तान के बटवारे के लिए जिम्मेदार माने जाने वालों में से एक विश्व प्रख्यात कवि डाॅ अल्लामा इकबाल ने अपनी एक कवित में भगवान राम को इमाम ए हिंद कहकर संबोधित किया था.

अल्लामा इकबाल की भगवान राम पर कविता

  • भगवान राम को इमाम हिंद कहने के बारे में अल्लामा इकबाल की कविता कुछ यूं कहा गया है –
  • लबरेज है शराब-ए-हकीकत से जाम-ए-हिंद
  • सब फलसफी हैं ख़ित्ता-ए-मगरिब के राम-ए-हिंद
  • ये हिन्दियों की फ़िक्र-ए-फ़लक-रस का है असर
  • रिफअत में आसमां से भी ऊँचा है बाम-ए-हिंद
  • इस देस में हुए हैं हज़ारों मलक-सरिश्त
  • मशहूर जिन के दम से है दुनिया में नाम-ए-हिंद
  • है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
  • अहल-ए-नजर समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद
  • एजाज इस चराग़-ए-हिदायत का है यही
  • रौशन-तर-अज-सहर है जमाने में शाम-ए-हिंद
  • तलवार का धनी था शुजाअश्त में फ़र्द था
  • पाकीजगी में जोश-ए-मुहब्बत में फ़र्द था

अब इंद्रेश कुमार इस कविता को अरब वासियों से जोड़कर भ्रम फैला रहे हैं कि वे भी भगवान राम को इमाम ए हिंद मानते हैं इसलिए रामलला के 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में विराजमान होने पर सभी धर्मों के लोगों को अपने घरों पर दिए जलाना चाहिए.

अल्लामा के जन्मदिन पर उर्दू दिवस मनाने का हो रहा है विरोध

यूं तो विश्व प्राख्यात शायर अल्लामा इकबाल को मोहम्मद अली जिन्ना के बाद भारत के बटवारे के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जाता है. उनपर यहां तक आरोप है कि वे ‘टू नेशन’ थ्योरी को आगे बढ़ाने वालों में थे. इसकी वजह से अल्लामा इकबाल के जन्मदिन पर ‘उर्दू दिवस’ मनाने का लोग मुखालफत करने लगे हैं. खासकर ऐसी मुखालफत में वे लोग आगे-आगे हैं जो खुले तौर पर आरएसएस और बीजेपी के समर्थक माने जाते हैं.

ऐसे ही लोगों में खुद को पसमांदा समुदाय की वकालत करने वाले एक्टिविस्ट डॉ फैयाज अहमद फैजी भी हैं.उन्होंने इसपर लेख भी लिखा है और अल्लामा इकबाल के जन्मदिन पर ट्वीट कर उनके जन्मदिन पर उर्दू दिवस मनाने पर सवाल भी उठाए हैं. अब वही आरएसएस जिसकी विचार धारा को आगे बढ़ाने वाले डाॅ फैयाज अहमद फैजी जैसे लोग अल्लाह इकबाल की एक कविता में भगवान राम को ’इमाम ए हिंद’ कह देने भर से हिंदुओं की तरह अयोध्या में रामलला के विराज मान होने पर मुसलमानों के दिए जलाने की वकालत कर रहे हैं.

इमाम ए हिंद के नाम पर इंद्रेश कुमार का तर्क

आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार का कहना है कि चूंकि भगवान राम ‘इमाम ए हिंद’ हैं और 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला अपने मंदिर में विराजमान होंगे.इसलिए इसे सभी धर्मों के लोगों को बड़े त्योहार के रूप में मना कर दुनिया को इंसानियत, अमन और शांति का पैगाम देना चाहिए.

उन्होंने कहा, राम जन जन में हैं, कण कण में हैं. हर जन कण राम से है. इंद्रेश कुमार इमाम ए हिंद के नाम पर भ्रम फैलाने की नियत से कहते हैं- ‘‘ अरब के लोग तो यह भी मानते हैं कि राम इमाम ए हिंद हैं, जिनके सुबह दीदार करने से जन्नत नसीब होती है और जिनके संदेशों को आदर्श मान कर जिंदगी जीने वाला इंसान जन्नती होता है.

उन्होंने कहा कि वो अपील करते हैं कि लोग किसी भी जाति, धर्म, मजहब, दल या किसी भी मुल्क के हों अपने अपने स्थानों पर चिराग रोशन कर 22 जनवरी 2024 को यह पैगाम दें की हिन्दुस्तान अब अमन और सुकून के रास्ते पर चलेगा. उन्होंने कहा कि स्वयं अंतिम रसूल हजरत मोहम्मद ने फरमाया है कि हिंद नाम की सरजमीं ऐसी सरजमीं है जहां से मुझे भी सकून की ठंडी हवा आती है. इंद्रेश कुमार ने कहा कि वक्त आ गया है कि अब इस पैगाम को अमली जामा पहनाते हुए 22 जनवरी 2024 के त्योहार को धूमधाम से मनाएं.

पर्सनल ला बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही नहीं मानता

यहां इंद्रेश कुमार को याद दिलाना जरूरी है अरब के लोग भगवान राम को इमाम हिंद नहीं कहते. अल्लामा इकबाल ने अपनी एक कविता में ऐसा कहा है. बाद में वह अरब में जाकर बस गए थे.

रहा सवाल अयोध्या में रामलला के विराजमान होने पर 22 जनवरी 2024 को मुसलमानों के घरों पर दिए जलाने का तो आल इंडिया पर्सनल लाॅ और एआईएमआईएम जैसे संगठन मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद आज अयोध्या में जहां भव्य राम मंदिर बन रहा है और जहां रामलला विराजमान होने वाले हैं, वह जगह आज भी बाबरी मस्जिद की है. कोर्ट ने गलत फैसला दिया है. ओवैसी जैसे मुस्लिम लीडर कहते हैं कि उस जगह को रहती दुनिया तक बाबरी मस्जिद से वाबस्ता रखा जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि जिस तरह बाबरी मस्जिद ढहाई गई, उस पर कब्जा किया गया और जिस तरह के विवादास्पद फैसले दिए गए, क्या कोई मुसलमान रामलला के विराजमान होने पर अपने घर पर दिए जला सकता है ?