100 देशों के 1,300 मुसलमानों को हज पर भेजेंगे सऊदी शाह, फिलिस्तीनी शहीदों के 1,000 परिजनों को आमंत्रण
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,रियाद/मक्का
सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद ने एक बार फिर इस्लामी एकता और मानवीय सहयोग का परिचय देते हुए हज 2025 के लिए 100 देशों से 1,300 मुसलमानों को “शाही मेहमान” के रूप में आमंत्रित करने की घोषणा की है। इस विशेष पहल के तहत इनमें 1,000 वे तीर्थयात्री शामिल हैं जो फिलिस्तीनी शहीदों, कैदियों और घायलों के परिवार से हैं।
हर साल की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए शाह सलमान का बड़ा ऐलान
सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, यह आयोजन “मेहमान-ए-ख़ादिम-ए-हरमैन अल शरीफैन” कार्यक्रम के अंतर्गत होगा, जिसकी देखरेख सऊदी अरब के इस्लामी मामलों और दावा मंत्रालय द्वारा की जाती है। सऊदी शाह का यह कदम वैश्विक इस्लामी समुदाय के साथ एकजुटता दर्शाने के साथ-साथ फिलिस्तीनी संघर्ष में शहीद हुए लोगों के परिवारों के प्रति एक गहरी संवेदनशीलता को भी प्रतिबिंबित करता है।
फिलिस्तीनी संघर्ष के प्रति सऊदी अरब की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता
इस्लामी मामलों के मंत्री डॉ. अब्दुल लतीफ़ अब्दुल अज़ीज़ अली शेख ने बताया कि यह कार्यक्रम शाह सलमान की व्यक्तिगत देखरेख और मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा,
“हर वर्ष की तरह इस बार भी सऊदी सरकार अपने खर्च पर फिलिस्तीनी शहीदों, घायलों और बंदियों के परिवारों को हज करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह इस्लामी भाईचारे की भावना का एक सशक्त उदाहरण है।”
फिलिस्तीनी मंत्री ने जताया आभार, बताया इसे ‘मनोरंजन नहीं, आत्मबल का संबल’
फिलिस्तीन के धार्मिक मामलों के मंत्री हातिम अल-बकारी ने इस फैसले का दिल से स्वागत किया। उन्होंने कहा,
“सऊदी अरब ने हमेशा फिलिस्तीन के लोगों का नैतिक, राजनीतिक और मानवीय स्तर पर समर्थन किया है। इस प्रकार के फैसले हमें न केवल धार्मिक आत्मबल देते हैं, बल्कि हमारे संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मान्यता भी दिलाते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि शहीदों और बंदियों के परिजनों को हज पर भेजना न केवल उनके दुखों को साझा करना है, बल्कि उन्हें यह संदेश भी देना है कि उम्मत-ए-मुस्लिम उनके संघर्ष को भूल नहीं सकती।
1,300 मेहमान, 100 देशों से—वैश्विक इस्लामी एकता का प्रतीक
सऊदी सरकार द्वारा आमंत्रित किए गए कुल 1,300 मेहमानों में मुस्लिम बहुल देशों के अलावा, उन देशों से भी प्रतिनिधि होंगे जहां मुसलमान अल्पसंख्यक हैं। इनमें अफ्रीका, एशिया, यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक के देशों के तीर्थयात्री शामिल हैं। यह आयोजन सऊदी अरब की इस वैश्विक भूमिका को दर्शाता है कि वह न केवल इस्लामी दुनिया का धार्मिक केंद्र है, बल्कि मानवीय करुणा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भी मार्गदर्शक बन रहा है।
निष्कर्ष:
सऊदी शाह का यह निर्णय न केवल एक धार्मिक पहल है, बल्कि यह एक राजनीतिक-सांस्कृतिक संदेश भी है कि इस्लामी दुनिया अपने पीड़ित भाइयों-बहनों को अकेला नहीं छोड़ेगी। 2025 का हज केवल एक आध्यात्मिक यात्रा नहीं, बल्कि इस्लामी एकता, वैश्विक भाईचारे और फिलिस्तीन के न्यायपूर्ण संघर्ष के समर्थन का भी प्रतीक बनेगा।