Religion

स्मृति ईरानी का मदीना दौरा, क्या है मस्जिद अल-नबवी की सफाई का सच ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

Smriti Irani’s visit to Madina, what is the truth about the cleaning of Masjid Al-Nabavi? हाल में ईरान के कुछ लोगों की पहल पर भारत की अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी के नेृत्वत में इस्लामिक नजरिए से पवित्र शहर मदीना के दौरे पर गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर अब विवाद छिड़ गया है.मदीना दौरे के क्रम में स्मृति ईरानी की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल उन तीन प्रमुख स्थलों पर गया था, जहां गैर-मुस्लिम का न केवल प्रवेश निषेध है, महिलाआंे का बिना हिजाब जाना भी मना है. जबकि स्मृति ईरानी न केवल भारतीय पोशाक साड़ी-ब्लाउज में थीं, बल्कि सिर भी नहीं ढक रखा था. प्रतिनिधिमंडल में एक राज्यमंत्री धोती पहने हुए थे.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल के मदीना दौरा को लेकर एक वर्ग जहां इसे ‘इंडियन पाॅवर’ और ‘दो संस्कृतियों के करीब’ आने की बात कर रहा है, वहीं दुनिया के मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसे लेकर सउदी अरब सरकार की लानत-मलामत में लगा है.

इसी क्रम मंे अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि मस्जिद अल-नबवी के बाहर साफ-सफाई की जा रही है. वीडियो में कमेंट्री करते हुए एक व्यक्ति दावा करता है कि मस्जिद अल-नबवी के उस इलाके की साफ-सफाई की जा रही है जहां स्मृति ईरानी और भारतीय प्रतिनिधिमंडल गया था. इस वीडियो को साझा करते हुए इसमें टिप्पणी की गई है-‘‘सऊदी अरबः मदीना नगर पालिका अब पवित्र मस्जिद अल-नबावी के पास मदीना की सड़कों को धो रही है और साफ कर रही है, जहां कुछ दिनों पहले स्मृति ईरानी सहित कुछ रुइस्लामोफोबिक मुस्लिम विरोधी गैर-मुस्लिम भाजपा अधिकारियों ने दौरा किया था.

इस वीडियो को साउथ एशियन जरनल नामक हैंडल से एक्स पर साझा किया गया है. जबकि फेसबुक पर इसे वी आर सुन्नी नामक प्लेटफाॅर्म ने शेयर किया है.

इस वीडियो को लेकर पाकिस्तान की रवीश कुमार मानी जाने वाली पत्रकार आरजू काजमी ने ‘फेक न्यूज’ बताया है. इस वीडियो को टैग करते हुए उन्होंने एक्स पर लिखा-‘‘फर्जी खबर . चूंकि मस्जिद अल-नबावी के कार्यकर्ता नियमित रूप से सफाई करते हैं, मस्जिद को साफ करते हैं और उसे सुगंधित करते हैं.

आरजू काजमी के इस पोस्ट की सोशल मीडिया पर कई लोगों ने तारीफ की है. जबकि कुछ लोगों ने स्मृति ईरान और भारतीय प्रतिनिधिमंडल के इस दौरे को ‘पाॅवर आॅफ इंडिया’ बताया है.

मगर सवाल उठता है कि इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा करने वाले कौन लोग हैं और इसका उद्देश्य क्या है ? साउथ एशियन जरनल नामक प्लेट फाॅर्म को खंगालने पर पता चलता है कि यह कोई प्रोपगंडा चैनल है. इसपर पोस्ट की गई तमाम सामग्री ऐसी है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारत के विरोध में जाती है. वीडिया में बोलने वाले का लहजा भी गैर भारतीय लगता है. तो सवाल उठता है कि क्या सउदी अरब ने अपने विरूद्ध उठ रही आवाजों को दबाने के लिए इस तरह का प्रोपगंडा वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कराया है ? यह अहम सवाल है, क्यांेकि इस वीडियो से केवल सउदी अरब को ही लाभ होने वाला लगता है.

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