सोशल मीडिया और मुसलमान !
मुदस्सर अहमद
इस समय हर व्यक्ति सोशल मीडिया का आदी हो चुका है. इसपर बिना सोचे समझ एक-एक बात पर लाइक और चर्चा करना अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी समझ बैठा है.सोशल मीडिया पर रोजाना हजारों ऐसे वीडियो आते हैं जिन पर आम लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं. अगर कोई संबंध है भी तो मुसलमान ऐसे वीडियो को लेकर गंभीर नहीं. वे साझते हैं कि इन वीडियो को साझा करना उनके लिए अच्छा रहेगा और जन्नत में जाएंगे.
आम तौर पर देखा गया है कि कुछ वीडियो जिसमें ईशनिंदा, इस्लाम और कुरान का अपमान किया जाता है, लोग उन वीडियो को बिना सोचे समझे देखते हैं. शेयर करते हैं. इसके साथ यह भी कमंेट किया जाता है- आप इस वीडियो को इतना शेयर करें कि अपमान करने वालों को सजा मिले.
वास्तव में इस तरह से सोशल मीडिया में वीडियो शेयर करने पर किसी को सजा नहीं होती, न ही ऐसे वीडियो शेयर करने से उन्हें नुकसान होता है. सच तो यह है कि ऐसे वीडियो शेयर करने से हम मुसलमानों, इस्लाम, कुरान और रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अपमान के भागीदार बनते हैं.
अगर आरोपियों को कोई वास्तव में दंडित कराना चाहता है या कार्रवाई करना चाहता है, तो इन वीडियो को साझा करने के बजाय, मुसलमानों को स्वयं आगे बढ़कर अपमान करने वालों के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए. उसके खिलाफ कार्रवाई को आगे आएं. इस्लाम के पैगंबर और अल्लाह की किताब इस्लाम का सम्मान है. मुसलमानों को अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हुक्म दिया है कि अच्छाई फैलाओ और बुराई से रोको. जब इस्लाम की बेइज्जती और इस्लाम का अपमान करने वाले वीडियो सामने आते हैं तो लोग इन बातों को इनाम न समझें बल्कि इस्लाम का अपमान समझें.कानूनी कदम उठाएं.
जब कोई किसी की एक इंच जमीन लेता है तो उसे वापस लेने के लिए थाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाता है, लेकिन जब इस्लाम की रक्षा की बात आती है तो मुसलमान चुप क्यों रहते हैं? एक जमाना था जब मुसलमान अपने मजहब, शरीयत और पैगंबर पर उंगली उठाने वालों की गर्दन काट देते थे, लेकिन अब वैसी स्थिति नहीं है. अब आप वीडियो शेयर को जिहाद मानने की जगह अदालतों में इंसाफ के लिए अपील करें. अभी भी कई मुसलमान हैं जो इंसाफ के लिए आवाज उठाते हैं, यह संदेश आम मुसलतानांे तक पहुंचना चाहिए. इसलिए मुसलमानों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. वीडियो पर टिप्पणी करना और साझा करना जिम्मेदारी नहीं है.
लेखक शिमोगा कर्नाटक के हैं. लेख के बारे मंे उनके मोबाइल 9986437327 पर उनसे चर्चा किया जा सकता है. लेख में उनके व्यक्तिगत विचार हैं.