सैयदना मुफ़द्दल सैफुद्दीन के प्रतिनिधि ने COP29 में की पर्यावरण संरक्षण की अपील
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
संयुक्त राष्ट्र के COP29 सत्र के अंतर्गत अज़रबैजान के बाकू ,अज़रबैजान में जलवायु परिवर्तन पर धार्मिक नेताओं का एक अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ. इस आयोजन का उद्घाटन अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने किया, जिन्होंने इस सम्मेलन को अपने समर्थन से सशक्त बनाया.
इस वर्ष का यह शिखर सम्मेलन, जिसका थीम “हरित ग्रह के लिए विश्व धर्म” था, पिछली बार अबू धाबी में आयोजित सफल शिखर सम्मेलन पर आधारित था. अज़रबैजान के पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय, धार्मिक संगठनों के साथ काम करने के लिए राज्य समिति, मुस्लिम काउंसिल ऑफ एल्डर्स, काकेशस मुस्लिम बोर्ड और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा इस सम्मेलन का संयुक्त आयोजन किया गया.
5 नवंबर को शुरू हुए दो दिवसीय इस सम्मेलन में विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लगभग 300 प्रमुख नेता शामिल हुए, जिनमें वेटिकन, अल-अजहर और अन्य धार्मिक संस्थानों के अधिकारी भी शामिल थे। इसमें 55 देशों और 30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, जिनमें संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी, विदेशी सरकारों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल थे.
Dawoodi Bohra Delegation at #COP29 🌎
— The Dawoodi Bohras (@Dawoodi_Bohras) November 7, 2024
A delegation from the Dawoodi Bohra Muslim community, led by Kinana Jamaluddin, joined over 300 prominent leaders at The Global Summit of Religious Leaders for Climate as part of @COP29_AZ.
He attended as a representative of the community… pic.twitter.com/YKQwglNLlx
दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि किनाना जमालुद्दीन भी इस सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे. वे दस लाख की आबादी वाले इस समुदाय के प्रमुख सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन के प्रतिनिधि के रूप में आयोजकों के विशेष निमंत्रण पर शामिल हुए. अपने संबोधन में जमालुद्दीन ने राष्ट्रपति अलीयेव और अन्य आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कुरान की “पृथ्वी पर धीरे-धीरे चलने” की अवधारणा का उल्लेख किया और पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) की शिक्षाओं को उद्धृत करते हुए कहा कि, “सारी सृष्टि अल्लाह पर निर्भर एक परिवार है, और सृष्टि में सबसे प्रिय वह है जो उसके परिवार को सबसे अधिक लाभ पहुंचाता है.”
उन्होंने सैयदना सैफ़ुद्दीन की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी सामूहिक कार्रवाई से भविष्य की पीढ़ियों पर प्रभाव पड़ता है, और जब विविध समुदाय एकजुट होते हैं, तो वे पर्यावरण संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
सम्मेलन के दौरान कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें जलवायु संकट पर धार्मिक दृष्टिकोण, पर्यावरण संरक्षण में धार्मिक संगठनों की भूमिका, और अंतरधार्मिक संवाद के माध्यम से विश्वास का निर्माण शामिल था। साथ ही, आतंकवाद, धार्मिक और नस्लीय असहिष्णुता तथा युद्धों के पर्यावरण व समाज पर हानिकारक प्रभाव का भी विश्लेषण किया गया.
दाऊदी बोहरा प्रतिनिधियों ने अपने समुदाय की प्रोजेक्ट राइज पहल के तहत वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और खाद्य एवं प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन अभियानों का विवरण साझा किया. विभिन्न धार्मिक समूहों ने भी पर्यावरण शिक्षा और संधारणीय पूजा स्थलों के उदाहरण प्रस्तुत किए, जिनसे पता चला कि किस तरह विभिन्न धार्मिक समुदाय आधुनिक पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए पारंपरिक प्रथाओं को अपना रहे हैं.
शिखर सम्मेलन का समापन बाकू घोषणा को अपनाने और धार्मिक नेताओं द्वारा जलवायु संकट का मुकाबला करने तथा पृथ्वी की रक्षा के लिए ठोस कार्रवाई की अपील के साथ हुआ.