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Tablighi Jamaat सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, कहा- अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे ज्यादा दुरुपयोग

कोरोना संक्रमण के प्रारंभिक दौर में तबलीग़ जमात ( Tablighi Jamaat) को लेकर मीडिया रिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India)ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है। कोर्ट ने कहा , हाल के दिनों में बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सर्वाधिक दुरूपयोग हुआ। कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से जूनियर अधिकारी की ओर से दायर हलफ़नामा पर भी ऐतराज जताया। सीनियर ऑफिसर से हलफ़नामा दायर करने की हिदायत दी।

सुप्रीम कोर्ट ने तबलीग़ जमात मुद्दे पर मीडिया की भ्रामक एवं अति-प्रेरित होकर रिपोर्टिंग करने पर केन्द्र के ‘कपटपूर्ण‘ हलफ़नामा के लिए उसकी खिंचाई की। उच्चतम न्यायालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव से इस तरह के मामलों में मीडिया की अभिप्रेरित रिपोर्टिंग को रोकने के लिए पूर्व में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा देने को कहा। कोर्ट ने पूछा है, सरकार बताए कि उस दौरान किसने आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई ?
इससे पहले बुधवार को दिल्ली की एक अदालत ने सरकार के कोविड-19 दिशा-निर्देशों का कथित रूप से उल्लंघन कर तबलीग़ जमात के आयोजन में भाग लेने के मामले में आरोप तय करने के खिलाफ 35 विदेशी नागरिकों द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। अवर सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा कि पुलिस ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ महामारी कानून, आपदा प्रबंधन कानून और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 व 269 के तहत आरोप तय करने को पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष पर्याप्त साक्ष्य पेश किए। सभी 35 याचिकाओं में अलग-अलग आदेश में न्यायाधीश ने कहा, ‘अदालत को आदेश में कोई कमज़ोरी, अवैध और अनियमितता नजर नहीं आई। समीक्षा याचिका में कोई गुण नहीं है। ऐसे में उसे खारिज किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के प्रारंभ दौर में नफरत फैलाने वालों के साथ मीडिया के एक वर्ग ने तबलीग़ जमात कीे आड़ में मुसलमानों के विरूद्ध भ्रामक प्रचार करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। इसके चलते देश में कई जगह हालात ऐसे हो गए कि मुस्लिम व्यापारियों का बहिषकार किया जाने लगा। यहां तक कि मुहल्ले में लोग मुस्लिम फल-सब्जी वालों से सामान लेने से इनकार करने लगेे। पहलवान बबीता फौगाट सहित कई भाजपा नेताओं ने तबलीग़ जमात के लोगों को ‘सुअर’ तक की संज्ञा दे डाली थी, जिसे मीडिया में खूब उछाला गया। इस दौरान सरकारों का रवैया बेहद सदेह पूर्ण रहा। (source; News Agency Bhasha)

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