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तहरीक-ए-इंसाफ कार्यकर्ताओं का चुनाव कार्यालय पर हमला, पाकिस्तान आपातकाल की ओर

अंसार अब्बासी और एजेंसी, इस्लामाबाद

पूर्व प्रधानमंत्री और प्रमुख विपक्षी पार्टी के सदर इमरान खान को पाकिस्तान रेंजर द्वारा ‘खुंखार अपराधी’ की तरह गिरफ्तार किए जाने के बाद से पड़ोसी देश में हंगामी सूरत बनी हुई है. इमरान समर्थक भड़के हुए हैं और लगातार बवाल काट रहे हैं. यहां तक कि सेना और दूसरे सरकारी प्रतिष्ठानों पर भी हमले से नहीं चूक रहे. इसी क्रम में तहरीक-ए-इंसाफ संक्षेप में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग के एक प्रांतीय कार्यालय पर धावा बोल कर भारी तोड़फोड़ की. जिस तरह से पाकिस्तान के हालात पिछले दो दिनांे मंे बदतर हुए हैं, देश के इमर्जेंसी की ओर बढ़ने का खतरा बढ़ गया है. खासकर दो प्रांतों मंे. इसके कई शहरों में फौज तैनात कर दी गई है, जो अच्छे संकेत नहीं देते.

पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में आपातकाल लगाने के हालात पैदा हो गए हैं. देश के संविधान में कहा गया है कि यदि देश में आंतरिक विद्रोह प्रांतीय सरकार के नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो आपातकाल अपनाया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 232 में कहा गया है कि यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि एक गंभीर आपात स्थिति है जिसमें पाकिस्तान या उसके किसी हिस्से की सुरक्षा को युद्ध या बाहरी आक्रमण या आंतरिक गड़बड़ी से खतरा है, तो वे आपातकाल की स्थिति घोषित कर सकते हैं.

हालांकि, जहां अशांति प्रांतीय सरकार के नियंत्रण से बाहर है, उस प्रांत की विधानसभा द्वारा आपातकाल लगाने का प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए. लेकिन मौजूदा स्थिति में दोनों प्रांतों (पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा) में प्रांतीय विधानसभाएं नहीं हैं, क्योंकि उन्हें इस साल की शुरुआत में भंग कर दिया गया था. दोनों प्रांतों में पीटीआई के प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए हैं और राज्य के संस्थानों पर हमला किया गया है.

संविधान में यह उल्लेख किया गया है कि यदि राज्य का राष्ट्रपति उसके विरुद्ध कार्यवाही करता है तो ऐसी स्थिति में आपातकाल का मामला दस दिनों के भीतर संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाना चाहिए. जब कोई आपात स्थिति लागू होती है, तो संसद को संघीय विधान सूची में शामिल नहीं किए गए किसी भी मामले के संबंध में किसी प्रांत या उसके किसी भाग के लिए कानून बनाने की शक्ति होगी. संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी प्रान्त को निर्देश देने तक होगा कि उस प्रान्त की कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग किस प्रकार किया जाना है.

संविधान यह भी प्रदान करता है कि जब आपातकाल की स्थिति लागू होती है, तो संसद कानून द्वारा नेशनल असेंबली की अवधि को एक वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए बढ़ा सकती है. उक्त घोषणा के समाप्त होने के बाद किसी भी मामले में यह विस्तार किया जा सकता है. यह नहीं होगा 6 महीने से अधिक हो. आपातकाल की स्थिति की कोई भी घोषणा राष्ट्रपति द्वारा उद्घोषणा जारी करने के 30 दिनों के भीतर बुलाई गई एक संयुक्त सत्र में प्रस्तुत की जाएगी और दो महीने के अंत में उस अवधि की समाप्ति तक समाप्त हो जाएगी.

संयुक्त बैठक का संकल्प संविधान में यह भी लिखा है कि आपातकाल की अवधि के दौरान राज्य के राष्ट्रपति एक डिक्री के माध्यम से घोषणा कर सकते हैं कि संविधान के दूसरे भाग के पहले अध्याय के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों के कार्यान्वयन के लिए जो यह कहा जाता है कि किसी भी अधिकार के प्रवर्तन के लिए या उन अधिकारों में से किसी के उल्लंघन से संबंधित किसी भी प्रश्न के निर्धारण के लिए किसी भी अदालत में सहारा लेने का अधिकार और किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही को निलंबित कर दिया जाएगा. वह अवधि जिसके दौरान उक्त उद्घोषणा लागू रहती है और ऐसा कोई भी आदेश पूरे पाकिस्तान या उसके किसी हिस्से के संबंध में जारी किया जा सकता है.

पीटीआई कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग कार्यालय पर धावा बोला

पेशावर में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने प्रांतीय चुनाव आयोग के कार्यालय पर धावा बोल दिया.प्रदर्शनकारी चुनाव आयोग के कार्यालय में घुस गए और खिड़कियों को तोड़ दिया.पुलिस द्वारा गोलियां चलाने के बाद प्रदर्शनकारी भाग गए.पीटीआई कार्यकर्ताओं ने कार्यालय के बाहर खड़ी तीन मोटरसाइकिलों को भी फूंक दिया.

दूसरी ओर, पीटीआई के प्रदर्शनकारियों ने इस्लामाबाद के तरनूल रेलवे स्टेशन पर हमला किया और इमारत में तोड़फोड़ करने के बाद उसमें आग लगा दी.आग ने रेलवे स्टेशन के रिकॉर्ड, फर्नीचर और अन्य उपकरणों को नष्ट कर दिया.इसके अलावा तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने पेशावर के किले बाला हिसार को जंग का मैदान बना दिया. हवा में गोलियां चलाईं और वाहनों पर पथराव किया.