जम्मू-कश्मीर के उलेमा सऊदी अरब पर बिफरे, बोले- तब्लीगी जमात पर से हटाएं प्रतिबंध
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर
सऊदी अरब ने तब्लीगी बयान पर प्रतिबंध लगाया है अथवा नहीं ? इसपर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. कहा जा रहा है कि उसके बयान में अफ्रीका के एक मुस्लिम संगठन पर बंदशि लगाने की बात कही है. बावजूद इसके तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने की खबर ने हिंदुस्तान के मुसलमानों के बीच खलबली मचा दी है. विशेषकर उलेमा बिफरे हुए हैं. तब्लीगी जमात पर से प्रतिबंध हटाने को लेकर देश के कोने-कोने से सऊदी अरब के लिए अपील जारी हो रही है. इसका एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि करीब तीस वर्षों से तब्लीगी जमात ने सऊदी अरब से अपना काम-धाम समेट रखा है. इस मामले में भी वह बिल्कुल खामोशी अख्तियार किए हुए है.
बहरहाल, जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक विद्वानों ने सऊदी अरब से तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया. इस्लामिक विद्वानों के संगठन, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) जम्मू और कश्मीर ने यहां हुई एक बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें पश्चिम एशियाई साम्राज्य को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया.
ऐसी खबर है कि सऊदी अरब ने 6 दिसंबर को तब्लीगी जमात को ‘‘समाज के लिए खतरा और आतंकवाद के द्वारों में से एक‘‘ बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया है.‘‘बैठक में प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसार, सऊदी अरब के एक विशुद्ध धार्मिक और दावा संगठन तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी और सऊदी अरब की सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया, ”
बैठक में एमएमयू ने कक्षा 7 के इतिहास और नागरिक शास्त्र की किताबों में इस्लाम के पैगंबर और महादूत जिब्राएल के चित्रात्मक प्रतिनिधित्व के लिए दिल्ली स्थित प्रकाशक ‘जय सी प्रकाशन‘ द्वारा प्रकाशित ईशनिंदा सामग्री पर भी कड़ी चिंता और नाराजगी व्यक्त की. कहा गया कि “समय≤ पर इस्लाम धर्म, इस्लाम के पैगंबर और पवित्र कुरान के खिलाफ साजिशें रची गई हैं. हालांकि, समय≤ पर इस्लामी विद्वानों और मुसलमानों ने इसके खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है. ”
विद्वानों ने प्रकाशकों से किसी भी सामग्री को छापने से पहले इस्लामी मुद्दों पर मुस्लिम विद्वानों से परामर्श करने के लिए कहा है. एक उप-समिति बनाने का भी निर्णय लिया गया जो इसके लिए निदेशक स्कूल शिक्षा के संपर्क में रहेगी.