अल्पसंख्यकों में एकजुटता और सामाजिक विभाजन पाटने की जरूरत है : एजाज़ अहमद असलम
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
रेडिएंस के प्रधान संपादक एजाज़ अहमद असलम ने कहा है कि भारत के अल्पसंख्यकों के बीच सामाजिक एकजुटता और अल्पसंख्यक समूहों के लिए सामाजिक विभाजन को पाटने और आपसी प्रगति के लिए सहयोग बहुत जरूरी है. वह दलित-मुस्लिम रिश्तों पर एक ऑनलाइन व्याख्यान में बोल रहे थे.
रेडियंस न्यूज़ द्वारा आयोजित दूसरी ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला में ‘दलित-मुस्लिम संबंधों की चुनौतियां’ के महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की गई. इस परिचर्चा का लक्ष्य समुदायों के बीच एकजुटता और समझ के रास्ते तलाशना है.
अतिथि वक्ता प्रोफेसर जगजीवन राम ने विषय पर एक व्यावहारिक सत्र का नेतृत्व किया. प्रोफेसर जगजीवन रायचूर (कर्नाटक) कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएएस) के प्रमुख हैं. उनहोंने इन समुदायों के बीच एकता की चुनौतियों और अवसरों को स्पष्ट किया.
दलितों के खिलाफ ऐतिहासिक भेदभाव और समकालीन समाज में स्थायी पूर्वाग्रहों का हवाला देते हुए उन्होंने विश्वास और एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत विचारधारा की आवश्यकता पर जोर दिया.
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए श्री राम ने भाषाई और क्षेत्रीय पहचान के खिलाफ लगातार पूर्वाग्रहों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बदलाव के लिए एकजुट होने की दोनों समुदायों की इच्छा के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाए और हाशिए की आवाज़ों को सशक्त बनाने के लिए आवश्यकताओं, इच्छाओं और शक्तियों (एनडीएस) पर केंद्रित एक व्यापक रणनीति अपनाने की वकालत की.
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रेडिएंस के प्रधान संपादक एजाज़ अहमद असलम ने मेहमानों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए राजनीतिक गठबंधनों से परे भारत के अल्पसंख्यकों के बीच सामाजिक एकजुटता के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने अल्पसंख्यक समूहों के लिए सामाजिक विभाजन को पाटने और आपसी प्रगति के लिए सहयोग करने की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला.
उनहोंने बताया कि रेडियंस अपनी स्थापना काल से (60 साल) देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों को संबोधित करने के प्रति प्रतिबद्ध है.
सत्र में सवाल-जवाब खंड के दौरान दिलचस्प चर्चा हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया. उपस्थित लोगों में बोर्ड ऑफ़ इस्लामिक पब्लिकेशन के सचिव सैयद तनवीर अहमद, जमाअत इस्लामी हिन्द, कर्नाटक के पूर्व अध्यक्ष (अमीर) मोहम्मद अथारुल्लाह शरीफ, और रेडिएंस के संपादक सिकंदर आज़म सहित उल्लेखनीय हस्तियां शामिल थीं। रेडियंस के उप-संपादक मोहम्मद नौशाद खान ने कार्यक्रम का संचालन किया.
समावेशी समुदायों के निर्माण और हाशिये पर पड़े लोगों की वकालत करने की दिशा में ठोस प्रयास किये जाने के आह्वान के साथ वार्ता समाप्त हुई. इस कार्यक्रम ने महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर संवाद और समझ को बढ़ावा देने के लिए रेडियंस न्यूज की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.