उडुपी हिजाब प्रतिबंधः सरकारी शिक्षण संस्थानों में मुसलमानों के दाखिले में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
पिछले साल कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा उडुपी पीयूसी की छह हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करने और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के बाद से मुस्लिम छात्रों का पढ़ाई से रूझान बहुत ज्यादा कम हुआ है. बता दें कि हाई कोर्ट ने हिजाब पहनने को जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं होना बताया है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी अब तक फैसला नहीं दिया है.
द इंडियन एक्सप्रेस की एक विशेष डेटा रिपोर्ट से पता चला है कि उडुपी जिले के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों (पीयूसी) में मुस्लिम छात्रों के प्रवेश में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
पिछले वर्ष 5,962 की तुलना में 2022-23 में उडुपी में सरकारी संस्थानों में पीयूसी के लिए पंजीकृत सभी श्रेणियों में छात्रों की संख्या 4,971 है.जबकि जिले में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों (कक्षा 11) में प्रवेश करने वाली मुस्लिम छात्रों की संख्या में बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है. सरकारी पीयूसी में प्रवेश में भारी गिरावट आई है.
2022-23 में उडुपी के सरकारी पीयूसी (91 लड़कियों और 95 लड़कों) में 186 मुस्लिम छात्रों का नामांकन हुआ है, जब कि 2021-22 की यह संख्या, 388 (178 लड़कियों और 210 लड़कों) थी.
निजी पीयूसी में 2021-22 की तुलना में 662 (328 लड़कियों और 334 लड़कों) की तुलना में 2022-23 में 927 (487 लड़कियों और 440 लड़कों) के साथ मुस्लिम प्रवेश में वृद्धि देखी गई है.कई लोगों का मानना है कि हिजाब मुद्दे के कारण यह बदलाव आया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने सलियाथ ग्रुप ऑफ एजुकेशन के प्रशासक असलम हैकडी के हवाले से कहा है कि
पहली बार प्राइवेट पीयू कॉलेज में मुस्लिम लड़कियों का नामांकन लगभग दोगुना हुआ है. हिजाब के मुद्दे ने वास्तव में उन्हें व्यक्तिगत और अकादमिक रूप से प्रभावित किया है. सिर्फ महिलाएं ही नहीं, छात्रों के माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे किसी भी मुद्दे से दूर रहें, खासकर सांप्रदायिक मुददों से.
हालांकि, कर्नाटक के स्कूली शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के अनुसार, पिछले वर्षों की तुलना में पीयूसी में समग्र प्रवेश में वृद्धि हुई है़. उन्होंने दलील दी कि जब छात्रों के प्रवेश की बात आती है, तो हम समग्र छात्रों की प्रवृत्ति को देखते हैं, चाहे उनका धर्म, जाति या पंथ कुछ भी हो. हम किसी विशेष समुदाय या छात्रों के वर्ग को अलग नहीं करते हैं और उनकी प्रवेश संख्या का आकलन करते हैं.’’ यानी उनके बयानों से आभास होता है कि सरकार को कतई परवाह नहीं कि मुस्लिम बच्चों की दाखिला सरकारी शिक्षण संस्थानों में आधा रह गया है.
शिक्षा मंत्री कहते हैं, आखिरकार, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम सभी छात्रों को उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें. अगर उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेजों में मुस्लिम छात्रों की संख्या में कोई कमी आती है, तो हम इस पर गौर करेंगे.
बता दें कि 2007-08 से 2017-18 के बीच, कर्नाटक में स्कूलों और कॉलेजों में जाने वाली मुस्लिम लड़कियों की उपस्थिति में लगातार वृद्धि देखी गई थी.
उडुपी के पीयू कॉलेज में 41 मुस्लिम लड़कियों ने 2021-22 में पीयूसी में दाखिला लिया था, जिनमें से केवल 29 ने दूसरे पीयू (कक्षा 12) में स्नातक किया. 2022-23 में कॉलेज में एक ही ग्रेड में 27 नए दाखिले हुए.
कॉलेज के प्राचार्य रुद्रे गौड़ा स्वीकार करते हैं कि कम प्रवेश हिजाब मुद्दे के कारण है. उन्होंने कहा, उन 12 मुस्लिम लड़कियों में से जो पहली से दूसरी पीयू में स्नातक नहीं हुईं, केवल दो ने हिजाब मुद्दे के कारण पढ़ाई छोड़ दी. छह ने पीयू की पहली परीक्षा पास नहीं की थी. चार लंबे समय से अनुपस्थित हैं. जहां तक मुस्लिम लड़कियों के नामांकन में गिरावट का संबंध है, इस बात की संभावना है कि उन्होंने एक ऐसे कॉलेज को प्राथमिकता दी होगी जहां हिजाब की अनुमति हो या उनके घरों के करीब हो.
उडुपी के भाजपा विधायक और कॉलेज की विकास समिति के अध्यक्ष रघुपति भट का कहना है कि जिले में कोई धार्मिक भेदभाव नहीं है. गिरावट के लिए प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रभाव को दोष देना चाहिए.
हम अपने कॉलेज में लड़कियों के समग्र नामांकन को देख रहे हैं जो इस वर्ष 365 है, जो तीन साल में सबसे अधिक है. यहां हिजाब की वजह से शिक्षा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता. हम केवल एक समान ड्रेस कोड लागू करके समानता सुनिश्चित कर रहे हैं. इसके अलावा, लड़कियां सीएफआई (कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया) और पीएफआई जैसे बाहरी खिलाड़ियों से प्रभावित हो रही हैं, जो उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपने मामले को मजबूत करने के लिए सरकारी स्कूलों में जाने से हतोत्साहित कर रहे हैं.
बता दें कि कर्नाटक का हिजाब विवाद
दिसंबर 2020 में उडुपी के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के छह मुस्लिम छात्रों को कॉलेज परिसर में उनके धार्मिक दायित्व के तहत हिजाब पहनने पर रोक लगाने के बाद छिड़ा था.