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Waqf संपत्ति हो हमारी तो दूर हो कंगाली

रजिस्टर्ड संपत्तियां 6,59,877 -24,906 मामले अदालतों में-तेलंगाना में एक लाख करोड़ रूपये की संपत्ति पर अवैध कब्ज़ा


क्या कभी सोचा है ? मुसलमानों के उत्थान एवं किवास के लिए वक्फ की गई तमाम संपत्तियां यदि उनके अधीन आ जाएं तो कौम की तंगहाली एक झटके में दूर हो जाए. जानकर हैरानी होगी कि केवल तेलंगाना में एक लाख करोड़ रूपये कीमत की वक्फ संपत्ति पर मुट्ठी भर लोग कुंडली मारे बैठे हैं. उससे अपना उल्लू सीधा कर रहे. इसी तरह केंद्रीय वक्फ परिषद की रिपोर्ट कहती है, इस समय देश के अलग-अलग हिस्सों में 18 हजार से अधिक वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण है. उनमें से 1300 से ज्यादा संपत्तियां केवल सरकारी विभागों, एजेंसियों ने हथियाए हुए हैं. राजनीतिक दलों के नेता, इस्लामिक संगठनों के प्रमुख लोग इसके लिए अपने रसूख का बेजा फायदा उठा रहे हैं. ऐसे लोगों की सूची में देश का एक प्रमुख औद्योगिक घराना भी शामिल है.
देश की करीब 18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी अभी हर तरह की परेशानी झेल रही है. न इसके पास ढंग की नौकरी है और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं. बीबीसी की एक रिपोर्ट कहती है, देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रहने वाले मुसलमानों का औसत मासिक आय दो से चार सौ रूपये है. सरकारी नौकरी में इनकी स्थिति भी ठीक नहीं. अल्पसंख्यक मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि विभिन्न मंत्रालयों, बैंकों, पारा मिलिट्री, रेलवे में इनका प्रतिशत सात से 13 है. इस हिसाब से देखा जाए तो तमाम वक्फ संपत्तियों से होने वाली आमदनी का अगर अलग बैंक बनाकर उन पैसों को मुस्लिम कौम पर खर्च किया जाए तो झटके में समस्याएं काफूर हो जाएं.
मगर हालत ऐसी है कि वक्फ संपत्तियों से होने वाली आदमनी से बैंक बनाने की कल्पना तो दूर, सरकारें वक्फ संपत्तियों को नहीं बचा पा रही. यह मुददा जब भी उठता है, केंद्र एवं राज्य सरकारें कुछ समय के लिए सक्रिय होती हैं. कुछ दिनों बाद दोबारा सब कुछ पुरान पुराने ढर्रे पर आ जाता है.
तेलंगाना में एक लाख करोड़ रुपये की वक्फ जमीन पर कब्जे का खुलासा होने पर राज्य वक्फ बोर्ड (टीएसडब्ल्यूबी) ने यकीन दिलाया कि जल्द ही उसे मुक्त कराया जाएगा. पिछले तीन वर्षों में बोर्ड ने 5000 एकड़ भूमि की रिकवरी की है. बावजूद इसके बोर्ड के स्वामित्व वाली 77,438 एकड़ में से 57,423 एकड़ भूमि अभी भी अवैध कब्जे में है. तेलंगाना राज्य का कुल बजट 1.82 लाख करोड़ रुपये का है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए एक करोड़ रूपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है, जबकि इतनी मालियत की वक्त संपत्ति दूसरे दबाए बैठेे हैं.

टाइम्स आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना में कब्जाई गई जमीन पर कई लोगों ने बड़े संस्थान स्थापित कर रखे हैं. कब्रिस्तानों की जमीन पर भी अवैध कब्जा है. एक मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय वक्फ बोर्ड को फटकार लगा चुकी है. बोर्ड अध्यक्ष मोहम्मद सलीम कहते है, वक्फ की संपत्तियों पर से अवैध कब्जा हटाने को दो विशेष टास्क फोर्स टीम बनी है. सीनियर वकीलों की मदद से कानूनी कार्रवाई की जा रही. तेलंगाना में बोर्ड 2,000 मामले में सिविल, उच्च न्यायालय एवं न्यायाधिकरणों लड़ाई लड़ रहा है. बोर्ड अधिकारी कहते हैं, कई जगह वक्फ बोर्ड की जमीन पर टीआरएस, कांग्रेस, टीडीपी और एमआईएम के मुस्लिम नेता, मुतवल्ली और इस्लामी रहनुमाओं ने कब्जा कर रखा है. एक पार्टी के नेता ने ममीदीपल्ली में वक्फ की 200 एकड़ जमीन हड़प ली है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस मामले में किसी भी रसूखदार को नहीं बख्शने एवं उनके विरूद्ध कार्रवाई की चेतावनी दी है.

तेलंगाना में कहां कितना कब्जा

-पहाड़ीश्रृंगः 2,130 एकड़, -अल्लूर, विकाराबाद: 1,200,
-ममीदीपल्ली: 720
-अट्टापुर: 400
-महेश्वरम: 200
-गुट्टला बेगमपेट: 93 एकड़
-आदिलाबाद: 1734

  • हैदराबाद: 2706
  • करीमनगर: 1971
    -महबूबनगर: 4561
  • निजामाबाद: 3597
  • वारंगल: 3029
    स्रोतः तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड

योजनाएं हैं योजना का क्या

यह हाल केवल तेलंगाना का है. अभी देश भर में 18 हजार से अधिक वक्फ संपत्तियां अतिक्रमण का शिकार हैं. केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था वक्फ परिषद के मुताबिक, देश के विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 18,280 वक्फ संपत्तियां नाजायज कब्जे में हैं. 16,931 वक्फ संपत्तियों पर निजी संगठनों अथवा रसूखदारांे ने कब्जा कर रखा है. 1300 से ज्यादा संपत्तियां सरकारी विभागों या सरकारी एजेंसियों ने हथियाई हुई हैं. सर्वाधिक वक्फ संपत्तियां पंजाब में अवैध कब्जे का शिकार हंै. अवैध कब्जे हटाने को कभी ठोस प्रयास नहीं किए गए. न ही मौजूदा समयनुसार किराए वसूली की कोई योजना है.
वक्फ परिषद के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘2014 में संशोधित कानून आने के बाद संपत्तियों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कोशिश की गई, लेकिन मुकदमों की संख्या हजारों में होने से अपेक्षित सफलता नहीं मिली.‘‘ मुकदमों के जल्दी निपटाने के मकसद से न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जकीउल्लाह खान की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बर्नाइं गई थी. उसने बोर्ड को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. समिति की रिपोर्ट में वक्फ नियम-2014 में बदलाव की सिफारिश की है, जिसके तहत वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लीज की अवधि पांच साल से 10 साल करने, वक्फ संपत्तियों पर देय सुरक्षा जमा को तर्कसंगत बनाने और शुल्क के भुगतान पर संपत्तियों की लीज किराएदार के कानूनी उत्तराधिकारी के नाम हस्तांतरित करने की कार्रवाई की जानी है.

देश में कहां कितनी संपत्तियां कब्जे में

-पंजाबः 5,610

  • मध्यप्रदेश: 3,240
  • पश्चिम बंगाल: 3,082
  • तमिलनाडु: 1,335
  • दिल्ली: 373 संपत्तियों पर कब्जा

कोर्ट में वक्फ कानून को चुनौती

हाल में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर अन्य धर्मों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए वक्फ कानून 1995 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. याचिका में मांग की गई कि कोर्ट घोषित करे कि संसद को वक्फ और वक्फ संपत्ति के लिए वक्फ कानून 1995 बनाने का अधिकार नहीं. संसद सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में दिए आइटम 10 और 28 के दायरे से बाहर जाकर ट्रस्ट, ट्रस्ट संपत्ति, धर्मार्थ और धार्मिक संस्थाओं और संस्थानों के लिए कोई कानून नहीं बना सकती. इनमें वक्फ की तरह ही ट्रस्ट, मठ और अखाड़े की संपत्तियों को अधिकार नहीं दिए जाने का विरोध किया गया है. याचिका जितेंद्र सिंह सहित छह लोगों ने वकील हरिशंकर जैन के जरिये दाखिल की है.

क्या है वक्फ?
वरिष्ठ पत्रकार शाजेब जिलानी के मुताबिक, वक्फ शब्द का अर्थ किसी भी धार्मिक काम के लिए किया गया कोई भी दान है. यह दान पैसे, संपत्ति या काम का हो सकता है. कानूनी शब्दावली में बात करें तो इस्लाम को मानने वाले किसी इंसान का धर्म के लिए किया गया किसी भी तरह का दान वक्फ कहलाता है. इसे धार्मिक और पवित्र माना जाता है. अगर किसी संपत्ति को लंबे समय तक धर्म के काम में इस्तेमाल किया जाए तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है. वक्फ शब्द का इस्तेमाल अधिकतर इस्लाम से जुड़ी हुए शैक्षणिक संस्थान, कब्रिस्तान, मस्जिद और धर्मशालाओं के लिए किया जाता है. कोई एक बार किसी संपत्ति को वक्फ कर दे तो वापस नहीं ले सकता.

बार्ड कैसे करते हैं काम

सभी वक्फ बोर्ड की निगरानी केंद्रीय वक्फ परिषद करती है. इस संस्था को केंद्रीय सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 के जरिए स्थापित किया. इसका काम देशभर के वक्फ बोर्डों की निगरानी करना है. परिषद के अध्यक्ष केंद्र सरकार में वक्फ मामलों के मंत्री होते हैं. उनके अलावा परिषद में 20 सदस्य हो सकते हैं. परिषद राज्य के वक्फों की मदद करता है. इस मदद को मुशरुत उल खिदमत कहा जाता है. मुशरुत उल खिदमत का शाब्दिक अर्थ प्रयोजित मदद होती है. वक्फ एक्ट में 1995 में एक नियम और जोड़ा गया. अब वक्फ बोर्ड की निगरानी 1995 के कानून के तहत की जाती है. सर्वे कमिशनर वक्फ घोषित संपत्तियों की जांच करता है. इसके लिए वो गवाहों और कागजातों की मदद लेता है. वक्फ का काम देखने वाले को मुतावली कहते हैं. भारत में अधिकांश राज्यों के वक्फ बोर्ड हैं. गोवा और पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों में वक्फ बोर्ड नहीं हैं. राज्य वक्फ बोर्ड में चेयरमैन के साथ राज्य सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य, मुस्लिम नेता और विधायक, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य, स्कॉलर और एक लाख से ज्यादा वार्षिक आय वाले वक्फ के मुतावली भी होते हैं.

वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण

वक्फ संपत्तियों का जियो टैगिंग एवं डिजिटलीकरण का काम चल रहा है. इसके पीछे सरकार की मंशा सम्पत्तियों का सदुपयोग समाज की भलाई के लिए करने की हैे.केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी संपत्तियों के डिजिटलीकरण में व्यक्तिगत दिलचस्पी ले रहे हैं. नकवी के मुताबिक, वक्फ रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण एवं जिओ टैगिंग के लिए केंद्रीय वक्फ परिषद,राज्य वक्फ बोर्डों को आर्थिक मदद एवं तकनीकी सहायता दे रही है.

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संपादक