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इजरायल का ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ क्या था, 50 वर्षों से लेबनान में पर क्यों हो रहे हैं हमले

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

पिछले एक हफ्ते से फिलिस्तीनियांे पर इजरायली हमले जारी हैं. 50 वर्ष पहले इजरायल द्वारा चलाए गए ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ ने ऐसा प्रभाव छोड़ा है कि इनके बीच टकराव बंद ही नहीं हो रहे हैं.एसोसिएटेड प्रेस एजेंसी के मुताबिक, 10 अप्रैल, 1973 को लेबनान में इजरायली कमांडो द्वारा एक भयानक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था, जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है.

50 साल पहले की वह सर्द रात थी, जब इजरायली कमांडो ने बेरूत के एक पॉश इलाके पर धावा बोल दिया और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को उनके अपार्टमेंट में गोली मार दी.बेरूत में इजरायली कमांडो द्वारा मारे जाने की चैंकाने वाली घटना ने लेबनान को परेशान कर दिया. तब से क्षेत्रीय शक्तियों ने बार-बार लेबनान में हस्तक्षेप किया है.

इस ऑपरेशन के बाद, लेबनान लगभग युद्ध का मैदान बन गया है, जहां इजराइल अपने विरोधियों पर हमला करता है और पचास साल बाद भी ऐसा ही हो रहा है.इस अवधि के गृहयुद्ध की शुरुआत से दो साल पहले लेबनान मुख्य रूप से एक पर्यटक आकर्षण के रूप में जाना जाता था.जहां दुनिया भर से पर्यटक पुरातत्व, बर्फ से ढके पहाड़ों की खूबसूरती देखने और चमकदार रेतीले समुद्र तटों पर धूप सेंकने आते थे.

इस ऑपरेशन के मुख्य लक्ष्य इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में पीएलओ के संचालन प्रभारी कमल अदवान और उनके सहयोगी, पीएलओ की कार्यकारी समिति के सदस्य मुहम्मद यूसुफ नज्जर और पीएलओ के प्रवक्ता कमल नासिर थे.कमल अदवान की विधवा ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि 9 अप्रैल 1973 की रात को वह दांत दर्द से परेशान थी. बच्चों के कमरे में आराम करने गई थी.

उन्हांेने कहा कि अदवान आमतौर पर देर रात तक संगठन के काम में व्यस्त रहते थे और उस रात पीएलओ के कुछ अधिकारियों के साथ उनकी एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी.उन्होंने बताया कि रात करीब एक बजे खिड़की टूटने की आवाज से उनकी नींद खुल गई. उसी समय अदवान बच्चों के कमरे में आए और मुझे और बच्चों को कमरे से बाहर न आने के लिए कहकर चले गए.

सेकंड बाद में, गोलियों की आवाज सुनाई दी और अदवान बेडरूम के बीच गलियारे में गिर गए, कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई.उन्हांेने कहा कि इसके तुरंत बाद, दो हथियारबंद लोग हमारे कमरे में दाखिल हुए और हमारे चेहरों पर टॉर्च जला दी.एक ने हिब्रू में अपने रेडियो संदेश में कहा कि मिशन पूरा हो गया. उनकी पत्नी और बच्चे यहां हैं, क्या हम उन्हें भी मार दें? जवाब मिला कि अगर वे विरोध नहीं करते हैं तो चले जाएं.

जब वे चले गए, तो उन्होंने बाथरूम में छुपकर और बाहर की स्थिति की जांच करने के लिए दरवाजा खोलकर बच्चों को प्रोत्साहित किया.मुख्य दरवाजा टूटा हुआ था और गोलियों के निशान थे. सीढ़ियों पर खून के धब्बे थे.वह नहीं जानती थी कि हमलावरों ने ऊपर रहने वाले कमल नासिर की भी हत्या की है.

उन्होंने कहा कि उस वक्त मुझे यह भी नहीं पता था कि ऑपरेशन में यूसुफ नज्जर और उनकी पत्नी भी मारे गए हैं.ध्यान रहे कि इस ऑपरेशन में तीन पीएलओ अधिकारी मारे गए, जिसे ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ के रूप में जाना जाता है. साथ ही कई लेबनानी पुलिस अधिकारी और सुरक्षा गार्ड जिन्होंने तुरंत हमले का जवाब दिया.

इससे पहले, 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में इजरायली कोच और ग्यारह एथलीटों की हत्या का बदला लेने के लिए था, जिन्हें फिलिस्तीनी समूह ब्लैक सितंबर द्वारा बंधक बना लिया गया था.बाद में, कमल अदवान के बेटे रामी ने घोषणा की कि उनके पिता का म्यूनिख में हुई घटना से कोई लेना-देना नहीं है.

वर्षों बाद, एहुद बराक ने यहूदी कमांडो द्वारा ऑपरेशन का वर्णन करते हुए कहा कि वह और दो अन्य कमांडो बालों की विग और मेकअप के साथ महिलाओं के रूप में तैयार की गई टीम का हिस्सा थे.महिला वेश का कारण यह था कि रात में बेरूत की सड़कों पर चलने वाले सभी पुरुष समूह की तुलना में हमारा समूह कोई ध्यान आकर्षित नहीं कर सका.