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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर क्यों डरे हुए हैं अयोध्या के मुसलमान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, अयोध्या

कई हिंदुत्व राष्ट्रवादियों के लिए, राम जन्मभूमि मंदिर धैर्य और अखंड हिंदू राष्ट्र के आह्वान का प्रतीक है. लेकिन निर्माण स्थल के पास रहने वाले मुसलमानों के लिए, यह बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हुई हिंसा की आशंकाओं की वजह बना हुआ है. जिसमें देश भर में 2,000 से अधिक लोग मारे गए. अब उन्हें अपने घर और आजीविका खोने का डर है.

जश्न के बीच भयानक सन्नाटा

अयोध्या भगवा रंग में रंगी हुई है और मंदिर शहर में जय श्री राम के नारे गूंज रहे हैं, पर निर्माण स्थल के पास कुछ गलियों में भयानक सन्नाटा पसरा हुआ है. शहर में रहने वाले चार लाख मुसलमानों में से 5,000 पुराने अयोध्या शहर में रहते हैं.

बड़ी पुलिस टुकड़ियों द्वारा बार-बार की जा रही निगरानी से शांति और बढ़ गई है. एक बुजुर्ग मुस्लिम महिला ने कहा, हमें बाहर से किसी भी मेहमान का स्वागत नहीं करने के लिए कहा गया है. अगर कोई मेहमान हमारे साथ रहने आता है तो हमें पुलिस को सूचित करना होगा.स्थानीय प्रशासन इस बात पर जोर दे रहा है कि सुरक्षा बढ़ा दी गई है. ये इलाके नए मंदिर के चारों ओर बाहरी लोहे की बाड़ के करीब हैं.

हालांकि, स्थानीय लोग इसे अलग तरह से देखते है.। इन क्षेत्रों में रहने वाले कई मुसलमानों ने 6 दिसंबर, 1992 के बाद हिंसा की पुनरावृत्ति की आशंका व्यक्त की है. 16 वीं शताब्दी पुरानी बाबरी मस्जिद को कार सेवकों (धार्मिक स्वयंसेवकों) द्वारा ईंट-ईंट से ढहा दिया गया था. इसके परिणामस्वरूप मौतें, विनाश और देश भर में मुसलमानों का विस्थापन सामने आई थी.

2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अत्यधिक विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाया. अयोध्या में उस भूमि पर मंदिर के निर्माण का आदेश दे दिया जहां बाबरी मस्जिद सैकड़ों वर्षों से खड़ी थी.

इस फैसले से हिंदुत्व ब्रिगेड का मनोबल बढ़ा गया है, जो बाद में अन्य मस्जिदों को भी ध्वस्त करने की मांग कर रहे हैं. उनका दावा है कि ये मस्जिद भी मंदिरों के ऊपर बनाई गई है. वाराणसी में काशी विश्वनाथ के निकट स्थित ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदुत्व समुदाय द्वारा सक्रिय रूप से दावा किया जा रहा है कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा मंदिर के एक हिस्से को नष्ट करने के बाद किया गया था.

मुसलमान चिंतित हैं

अयोध्या के मुसलमानों में चिंता व्याप्त है. उन्हंे हिंदुत्व कार्यकर्ताओं और प्रशासन दोनों से संभावित खतरों से अपनी आजीविका खोने का डर है. कई लोगों ने उद्घाटन समारोह के दिन, सोमवार को घर के अंदर रहने का विकल्प चुना है.

43 वर्षीय अब्दुल वहीद कुरैशी के लिए चिंता चरम पर है. उनका घर निर्माण स्थल से कुछ सौ मीटर की दूरी पर है. कुरैशी का परिवार 1990 और 1992 में अयोध्या में हुए सांप्रदायिक दंगों का गवाह है.

कुरैशी ने द हिंदू को बताया,“हम नहीं जानते कि बाहरी लोग क्या सोच रहे हैं या क्या योजना बना रहे हैं. प्रशासन ने हमें आश्वासन दिया कि कोई अप्रिय घटना नहीं होगी. लाखों लोगों के बीच कुछ तत्वों के इरादे अलग हैं. हमारे परिवार ने अयोध्या में 1990 और 1992 की सांप्रदायिक घटनाएं देखी हैं. ”

उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के इस आश्वासन के बावजूद कि कोई अप्रिय घटना नहीं होगी, मंदिर के आसपास रहने वाले मुसलमान आश्वस्त नहीं हैं. द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर निर्माण के रास्ते में आने वाले कुछ मुस्लिम घरों को तोड़ दिया गया है. हालांकि मुआवजा प्रदान किया गया है. लेकिन ऐसा लगता है कि मुसलमानों ने भाग्य को स्वीकार लिया है.
एक 16 वर्षीय लड़के ने पास के एक घर के मलबे की ओर इशारा करते हुए कहा, “हमारे एक पड़ोसी का घर कुछ दिन पहले ध्वस्त कर दिया गया. अगली बार हमारी बारी आएगी तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा. मुझे नहीं पता कि मैं और मेरे माता-पिता कहां जाएंगे.”

छत्तीस वर्षीय मेराज, जो खड़ाउन (हिंदू पुजारियों द्वारा पहने जाने वाले विशेष लकड़ी के चप्पल) बनाते हैं, भी इसी चिंता से ग्रस्त हैं.उन्हांेने कहा, “हम बाहर स्वतंत्र रूप से नहीं बैठ सकते है. हमें नहीं पता कि किसी भी क्षण क्या होगा. मैं हमारी सुरक्षा के लिए अल्लाह से प्रार्थना कर रहे हैं,

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6 जनवरी को, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने मुसलमानों से 20 से 25 जनवरी के बीच यात्रा से बचने और घर पर रहने की अपील की थी. एआईयूडीएफ प्रमुख ने कहा, “अगर लोग 3-4 दिनों तक यात्रा नहीं करते हैं तो कोई समस्या नहीं हो सकती.”राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में 60,00 से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे.

नए भारत का प्रतीक

कई हिंदुत्व राष्ट्रवादियों के लिए, राम मंदिर धैर्य के प्रतीक और अखंड हिंदू राष्ट्र के लिए एक रैली के रूप में खड़ा है.विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने सीएनएन को बताया,हिंदू सभ्यता के उद्भव पर गर्व महसूस करते हैं. उनके मुताबिक, “मुगलों ने हमें बदलने की कोशिश की. फिर अंग्रेजों ने हमें बदलने की कोशिश की, लेकिन राम मंदिर का उद्घाटन दुनिया को दिखाता है कि हमारी हिंदू परंपराएं, प्रथाएं और मान्यताएं अभी भी बरकरार हैं. नया भारत हिंदू सभ्यता का पुनरुत्थान देखेगा. ”

बंसल की बात दोहराते हुए, अयोध्या के आरएसएस नेता महंत जयराम डार का मानना है कि भारत में मस्जिदों का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए. “सऊदी अरब, पाकिस्तान या किसी मुस्लिम बहुल देश में जाऐ. भारत में इस तरह की मस्जिद क्यों बनाएं. ”

देश के अन्य हिस्से का मुसलमान चिंतित

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देश के अन्य हिस्से के मुसलमान भी चिंतित हैं. भोपाल के एक इंजीनियरिंग काॅलेज में पढ़ने वाले छात्र ने पटना के फुलवारी शरीफ में रहने वाले अपने परिजनों से पूछा कि सोमवार को वो क्या करे. उसके हाॅस्टल और आसपास का उग्र माहौल उसे परेशान कर रहा है. यह स्थिति केवल उक्त छात्र की नहीं है. हिंदू बहुल इलाकों में रहने वाले हर मुसलमान की यही चिंता है कि कहीं प्राण प्रतिष्ठा के नाम पर उत्पात मचाने वाले उन्हें न निशाना बनाएं ?

-सियासत के इनपुट के आधार पर