कांग्रेस विधायक चैधरी आफताब ने क्यों कहा, ‘ गुरूग्राम नमाज विवाद ‘ को खट्टर सरकार का मौन समर्थन ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, चंडीगढ़
ग्रुरूग्राम का नमाज विवाद अब पर सियासी रंग चढ़ने लगा है. जाहिर है हरियाणा प्रदेश की खट्टर सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो सियासी स्तर पर उनकी और उनकी सरकार फजीहत हो सकती है. इस मामले में हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता और नूंह से विधायक चैधरी आफताब अहमद ने प्रदेश के डीजीपी पी के अग्रवाल से बात की है. विधायक ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चंडीगढ़ आवास पर भी फोन से दो बार संपर्क साधा. मुख्यमंत्री के मीटिंग में होने के कारण बताया नहीं हो सकती.
चौ. @Aftabnuh ने #गुड़गांव #नमाज़ मामले में आज DGP श्री पी के अग्रवाल ज़ी से बात की, CM आवास पर भी संपर्क साधा लेकिन CM मीटिंग में व्यस्त बताये गए।
— Ch Aftab Ahmed MLA (@Aftabnuh) December 3, 2021
कहा: “जिस तरह आज नमाजियों को पुलिस मौजूदगी में हाथ लगाकर व्याधान डाला गया वो आपत्तिजनक है, और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है”
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सीएलपी उप नेता चैधरी आफताब अहमद ने डीजीपी से कहा कि गुरूग्राम में जिस तरह से शुक्रवार को नमाजियों को पुलिस की मौजूदगी में हाथ लगाकर व्याधान डाला गया वो आपत्तिजनक है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
आफताब अहमद ने कानून व्यवस्था खराब करने वालों पर कार्रवाई करने व मंजूरशुदा जगहों पर नमाज पढ़ने वालों को सुरक्षा मुहैय्या कराने की मांग करते हुए कहा कि मामला दिन प्रतिदिन खराब किया जा रहा है. प्रशासन सही कार्रवाई नहीं कर पा रहा है.
विधायक ने बताया कि उनकी मांग पर हरियाणा के डीजीपी ने आवश्यक कदम उठाने का सकारात्मक आश्वासन दिया है.
आफताब अहमद ने कहा कि इस मामले को प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को गंभीरता से लेना चाहिए. इसे प्रशासनिक मुद्दा समझने के बजाए सरकार की विफलता मानना चाहिए. आफताब अहमद ने कहा कि प्रशासन द्वारा मंजूरी देने के बावजूद नमाज में व्याधान सरकार की मंशा को दर्शाता है.
आफताब अहमद ने बताया कि उन्होंने महीने भर पहले भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर मामले का संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करने की मांग की थी. कांग्रेस के तीन विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस करके मामले को सीएम के मेवात आगमन से पूर्व उठाया था. मगर उन्होंने मामले को गंभीरता से लेने के बजाए शरारती तत्वों को मौन समर्थन दे दिया, ऐसा प्रतीत होता है.
चिंताजनक बात यह है कि इस मामले में हरियाणा प्रदेश की बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा और आरएसएस का मुस्लिम मोर्चा भी चुप्पी साधे हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि इन संगठनों का मुसलमानों के बीच औचित्य ही क्या है ?