ReligionTOP STORIES

RSS के मौलाना उमेर इलियासी राम मंदिर समारोह मामले में क्यों दे रहे सफाई

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख डॉ. उमेर अहमद इलियासी, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के करीबियों में से हैं. यह कोई ढकी छिपी बात नहीं है. सोशल मीडिया पर ऐसे अनेक खबरें और तस्वीरें मिल जाएंगी, जिससे उनकी आरएसएस से निकटता का पता चलता है. पिछले साल आरएसएस प्रमुख मोहन भागत दिल्ली के जिस मदरसे का भ्रमण करने पहुंचे थे, उसे इलियासी ही चलाते हैं.

आरएसएस के मौलाना की हैसियत से ही इलियासी को 22 जनवरी को अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बुलाया गया था. इस समारोह मंे मौलाना उमेर इलियासी न केवल शामिल हुए, इमाम की लिबास में नवनिर्मित राम मंदिर का भी भ्रमण किया.

अब इनकी इस हरकत पर देश के मुसलमानों का एक बड़ा तबका खासा नाराज है. रोजाना बड़ी संख्या में उनकी आलोचना वाले संदेश उन्हें मिल रहे हैं. मौलाना इलियासी इस बात को खुद स्वीकारा है.

देश के आम मुसलमानों को नहीं पता कि जिससे उन्हें हमदर्दी की उम्मीद है, उनका टांका कहां और भिड़ा है. दरअसल, वे किसी पार्टी या संगठन के एजंेट हैं. मगर जब पर्दा उठता है तो निश्चित ही उन्हें धक्का पहुंचता है और वे अपने कथित रहनुमा के विरोध में खड़े हो जाते हैं. उमेर इलियासी के साथ भी अयोध्या कार्यक्रम के बाद यही हो रहा है. उन्हांेने एक न्यूज आउट लेट्स आवाज द वाॅयस को दिए इंटरव्यू में माना कि उनके अयोध्या जाने से ‘एक समुदाय नाराह है.’ मगर वे इस बात से खुश दिखे कि उनके अयोध्या जाने पर देश के मुस्लिम रहनुमा ने कुछ नहीं कहा.

माना जा रहा है कि इसकी दो वजह हो सकती है. एक तो उनकी तरह ही कई मुस्लिम रहनुमा किसी के एजेंट हो सकते हैं और उन्हें इस मुददे पर कुछ भी बोलने से मना किया गया होगा. दूसरा, किसी कानूनी पचडे़ में पड़ने के भय से उन्हांेने चुप्पी साधना ही बेहतर समझा.

बहरहाल, इधर अपने खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए मौलाना उमेर इलियासी ने अपने इंटरव्यू में कहा, ‘‘मैं देश की खातिर राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुआ. नफरत के युग को खत्म करने के लिए इसका हिस्सा बना. अयोध्या से देश में सकारात्मक संदेश जाएगा. मेरा ये कदम बहुत सफल रहा. मुझे बहुत प्यार मिला. हर कोई आदरपूर्ण था. मुसलमानों की ओर से एक सकारात्मक संदेश था.’’

ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख डॉ. उमेर अहमद इलियासी ने आवाज द वॉयस के प्रधान संपादक आतिर खान से खास मुलाकात में आगे कहा, ‘‘ राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में एक नए भारत का दर्शन हुआ.’’

संघी इमाम आगे कहते हैं, ‘‘नफरत और दुश्मनी से मुक्त भारत. मैंने देखा और महसूस किया. अयोध्या के राम मंदिर में कोई नफरत नहीं थी. कोई राजनीति नहीं थी. हर कोई एक भक्ति के साथ आया था, इसलिए हर किसी की आंखों में चमक थी.’’

उन्होंने कहा,एक दूसरे के लिए सम्मान था. ये सम्मान हममें से किसी के लिए नहीं था. मैं शंकराचार्यों और अन्य हिंदू धर्म गुरुओं के साथ बैठा था. सभी मुझे देखकर खुश थे. शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि मैं प्राण प्रतिष्ठा में भाग लूंगा.’’

मौलाना उमैर इलियासी ने कहा, ये बदलते भारत की तस्वीर है. आज का भारत नया भारत है. आज का भारत सर्वोत्तम भारत है. मैं यहां प्यार का पैगाम लेकर गया था.

हम सब एक पंक्ति में खड़े थे. यही भारत की खूबसूरती है. बेशक हमारी पूजा-अर्चना के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, हमारी मान्यताएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसान और इंसानियत है. आइए अब हम सब मिलकर इंसानियत कायम रखें.बातचीत में मौलाना उमेर इलियासी ने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला पूरी तरह से राष्ट्रीय था. यह कदम देशहित में उठाया गया.दूसरी बात यह कि हम सभी भारतीय हैं.

ALSO READ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर क्यों डरे हुए हैं अयोध्या के मुसलमान

राम मंदिर उद्घाटन: सेक्युलर कौन? कोई भी नहीं

राम मंदिर की ताजमहल से क्यों की जा रही तुलना ?

राम मंदिर समारोह के दौरान कैसा हो मुसलमानों का रवैया ?

हम भारत में रहते हैं तो हम सभी को भारत को मजबूत रखना चाहिए. आज हमारा संदेश नफरत खत्म करना है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, बहुत सारी साजिशें हुईं, बहुत सारी दुश्मनी, बहुत सारी राजनीति, बहुत सारे लोग मारे गए.

अब हम सबको मिलकर भारत को मजबूत करना है. भारतीयता को मजबूत करना होगा. हम सब मिलकर अखंड भारत की दिशा में काम करें.उन्होंने राम मंदिर समारोह को लेकर कहा कि यह भारत की संस्कृति है.

यह विविधता में एकता को दर्शाती है. राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने मुझे इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया. मुझे लगता है कि मुझे सभी मुसलमानों की ओर से भारत के सभी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है.

उन्होंने कहा, ‘’ मैं आपको बता दूं कि मैं जब वहां प्रवेश कर रहा था तो दोनों तरफ लोग मौजूद थे. लोगों ने खुशी से मेरा स्वागत किया.उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि यह बहुत महत्वपूर्ण अवसर था.;;

आप समझ सकते हैं कि यह एक राजनीतिक और सांप्रदायिक संघर्ष था. इससे नफरत, लड़ाई हुई और अनगिनत जानें गईं. अब यह पूरी तरह से बंद हो गया है. इसलिए देशहित और राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए मैंने तय किया कि मैं जरूर जाऊंगा.

मैंने उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया. मेरा मानना है कि हमें उन जगहों पर प्यार का संदेश फैलाना चाहिए जहां नफरत और लड़ाई है और वही हुआ.

मौलाना उमेर इलियासी ने अपने इंटरव्यू में माना, ‘‘ इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक समुदाय मुझसे तब से नाराज है जब से मैं अयोध्या से वापस आया हूं.

मुझे अनर्गल संदेश मिल रहे हैं. मुझे यह भी लगा कि मेरे जाने से कई लोग नाराज हैं. लेकिन मैंने देश और राष्ट्र के लिए यह बड़ा कदम उठाया है. जिसे लेकर मैं खुश हूं. इलियासी को डर था कि उनके अयोध्या जाने से मुस्लिम रहनुमा नाराह होंगे. मगर उनकी चुप्पी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘

महत्वपूर्ण बात यह है कि मुस्लिम समुदाय और सभी प्रमुख विद्वानों में से किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया.’’हालांकि, ‘राष्ट्रहित’ में उनके अयोध्या जाने की सफाई पर क्या प्रतिक्रिया होती है. आने वाले समय में इसका पता चल पाएगा.वेसे, मेवात निवासी इलियासी परिवार शुरू से सियासत से जुड़ा रह है. मौलान उमेर कि पिता कांग्रेस के करीबी माने जाते थे. वह जिस मस्जिद के इमाम हैं वह कांग्रेस मुख्यालय के करीब है.