CAA/NRC आंदोलन का जिन बोतल से बाहर, मिल रहे बड़े संघर्ष के संकेत
11 दिसंबर को ट्वीटर हैंडल पर #worldAgainstCAA अभियान
किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के साथ ही ‘सीएए-एनआरसी आंदोलन’ का जिन बोतल से बाहर आ गया. केंद्र सरकार मशक्कतों के बाद किसान आंदोलन को शांत कराने में कामयाब हो जाए, पर दूसरी मुसीबत तैयार खड़ी है. सीएए-एनआरसी आंदोलन को लेकर सरकार का अब तक जैसा रवैया रहा, निश्चित ही बोतल से निकला जिन किसानों की तरह जल्द और आसानी से अंदर नहीं जाने वाला. पिछली बार यह आंदोलन करीब सवा तीन महीने चला. कोरोना (Corona) वायरस के कारण लाॅकडाउन की नौबत नहीं आती तो शायद अब तक आंदोलनकारी सड़कों पर ही डटे रहते.
लाॅकडाउन के चलते सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन का प्रतीक बन चुके दिल्ली के शाहीनबाग की सड़क से कनात-तंबू हटा दिया गया. इस नाम से देश के अन्य हिस्सों में भी आंदेालन चलाए गए, पर लाकडाउन में उनकी गतिविधियाँ भी बंद कर दी र्गइं. अलग बात है, सीएए विरोधी सोशल मीडिया पर हैशटैग शाहीनबाग जिंदा है चलाता रहा. किसान आंदोलन के साथ वे भी सक्रिय हो गए हैं. धीरे-धीरे सड़कों पर आने लगे हैं. 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस था. किसान आंदोलन के दौरान सीएए-एनआरसी विरोधी आंदलों में सक्रिय रहे शरजील इमालम, उतर खालिद जैसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं के पोस्टर लेकर प्रदर्शन किए गए. इस समय वे देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में जेल में बंद हैं. 11 दिसंबर को ट्वीटर हैंडल से विश्वव्यापी ‘ #worldAgainstCAA ’ अभियान चलाया गया.
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