BBC के पूर्व पत्रकार कुर्बान अली बने मिसाल, बेटी का महिला काजी ने पढ़ाया निकाह
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
बीबीसी के लिए लंबे समय तक काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली ने भारतीय मुसमलनांे के बीच नई मिसाल कायम की है.इस्लाम की प्रथा में निहित न्याय और समानता की भावना को मूर्त रूप देते हुए, 11 मार्च को एक ऐसी शादी कराई गई जो अपने आप में एक उदाहरण है.
यह शादी संपन्न हुई डॉ. जाकिर हुसैन (स्वतंत्र भारत के तीसरे राष्ट्रपति) के परपोते जिब्रान रेहान रहमान (यूसुफ रेहान रहमान और हुमैरा मिश्रा के बेटे) और उर्सिला अली (कुर्बान अली और हिना अली की बेटी) के बीच. शादी में केवल दोनों परिवार के कुछ करीबी और दोस्त ही शरीक हुए.
शादी की उल्लेखनीय बात यह रही कि जोड़े का निकाह पढ़ाया डॉ. सैयदा सैय्यदैन हमीद (पूर्व सदस्य योजना आयोग, भारत सरकार) ने. निकाहनामे में निर्धारित शर्तों को मुस्लिम महिला मंच के तत्वावधान में तैयार किया गया. बता दें कि इस संगठन की संस्थापक अध्यक्ष दूल्हे की परदादी बेगम सईदा खुर्शीद थीं.
निकाह की एक खूबसूरत बात यह रही कि कुरान की रोशनी में मेहर, गवाह तय किए गए. इस शादी के निकाहनामा का अतिरिक्त महत्व इसका इकरारनामा (समझौता) है, जिसमें समान अधिकारों और जिम्मेदारियों से संबंधित दूल्हा और दुल्हन द्वारा परस्पर सहमत शर्तों को सूचीबद्ध किया गया.
वैवाहिक जीवन के सभी पहलू इसमें दर्ज किए गए हैं. दूल्हा-दुल्हन के तीन कबूलनामे के साथ शादी दोनों पक्षों की सहमति से संपन्न हो गई.समारोह में डाॅ. सैयदा हमीद ने अपने तारजुमन उल कुरान में मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा बताए गए कुरान के अंशों का पाठ किया. उन्होंने 27 साल तक कुरान का कठोर अध्ययन किया है. शादी समारोह को दूल्हा और दुल्हन के मिलन को वैवाहिक, कानूनी और आध्यात्मिक साझेदारी के आह्वान के साथ संपन्न कराया गया. इस दौरान कुरान के सूरह अल अहजाब 33ः35 का विशेष तौर से उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया,‘‘ पुरुषों और महिलाओं के लिए, धर्मनिष्ठ पुरुषों और महिलाओं के लिए, सच्चे पुरुषों और महिलाओं के लिए … उनके लिए अल्लाह ने क्षमा और महान इनाम तैयार किया है.‘‘