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मध्य प्रदेश: नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर रोक समय की मांग

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,भोपाल

मध्यप्रदेश में पिछले 150 दिनों से चल रहा नई शिक्षा नीति (एनपीई) के खिलाफ आंदोलन को लेकर भोपाल में लोक शिक्षा बचाओ समिति के तत्वावधान में बैठक हुई. भोपाल नीलम पार्क में आयोजित कार्यक्रम में सभी विचारधारा के बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. इस दौरान नई शिक्षा नीति को देश के संविधान और भारत के धर्मनिरपेक्ष मूड के खिलाफ बताया गया.

बुद्धिजीवियों का मानना ​​है कि नई शिक्षा नीति के नाम पर वर्तमान सरकार न केवल एक खास विचारधारा को थोपने की कोशिश कर रही है, देश की हजारों साल पुरानी धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था को भी नष्ट कर रही है.

बैठक को संबोधित करते हुए मुदित भटनागर ने कहा कि नई शिक्षा नीति केवल एक वैचारिक व्यवस्था थोपने और मौजूदा धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था को बाधित करने का एक प्रयास है. सरकारी क्षेत्र के संस्थानों को सरकार द्वारा बेचा जा रहा है ताकि पिछड़े वर्ग के लोग आरक्षण की मांग न कर सकें. सरकार का पूरा प्रयास एक उच्च वर्ग के वर्चस्व को स्थापित करने के साथ एक निश्चित विचारधारा को थोपने का है.

शैक्षिक सभा को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध नाटककार और लेखक अहमद खान ने कहा कि सरकार की बातों और कार्यों को समझने की जरूरत है. एक ओर जहां विज्ञान और वाणिज्य के छात्रों के लिए नई शिक्षा नीति के माध्यम से भाषा सीखने के अवसर खोलने की बात हो रही है, वहीं जब उर्दू के छात्र स्कूल और कॉलेजों में जाते हैं तो उनसे कहा जाता है कि आप उर्दू को अन्य विषयों से बदल दें. हमारे पास उर्दू के शिक्षक नहीं हैं.क्षेत्रीय कॉलेज में उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 11वीं कक्षा में अठारह है, लेकिन उन्हें उर्दू पढ़ने से रोका जा रहा है. उन पर संस्कृत पढ़ने का दबाव डाला जा रहा हैए जबकि 11वीं कक्षा में उसी रैंगल कॉलेज में संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या तीन है और उन्हें शिक्षक उपलब्ध कराया जा रहा है.

हमारी मांग है कि सरकार अपने शब्दों और कार्यों के अंतर्विरोध को समाप्त करे और उर्दू भाषा के छात्रों को अन्य भाषाओं की तरह समान अवसर प्रदान करे. सोनम शर्मा ने कहा कि यह आंदोलन देश की शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए है. जब तक नई शिक्षा नीति को लागू नहीं किया जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा.