Culture

जुनून और जादू की मुलाकात: ’60 सेकंड्स टू फेम’ में शम्स आलम और ए.आर. रहमान की निर्णायक जोड़ी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, चेन्नई

भारत के सबसे समावेशी फिल्म महोत्सवों में से एक, एबिलिटीफेस्ट 2025 के अंतर्गत आयोजित “60 सेकंड्स टू फेम” प्रतियोगिता में विश्वप्रसिद्ध संगीतकार ए.आर. रहमान और अंतरराष्ट्रीय पैरा-तैराक मोहम्मद शम्स आलम शेख निर्णायक मंडल का हिस्सा बने। इस प्रतियोगिता का आयोजन विकलांगता विषय पर बनी एक मिनट की लघु फिल्मों के माध्यम से सशक्त कहानी कहने की चुनौती पर केंद्रित था।

इस निर्णायक मंडल में ए.आर. रहमान की अध्यक्षता में अभिनेत्री सिमरन, गीतकार मदन कार्की, फिटनेस कोच टिंकेश कौशिक और प्रेरणास्रोत शम्स आलम शामिल थे। चेन्नई के मालगुडी, द सवेरा होटल में जूरी मीट का आयोजन हुआ और 7 से 10 जुलाई 2025 तक चेन्नई के पीवीआर आईनॉक्स सत्यम सिनेमा में विजेता फिल्मों का प्रदर्शन होगा।


प्रारंभिक जीवन

17 जुलाई 1986 को बिहार के मधुबनी जिले के राठौस गांव में जन्मे मोहम्मद शम्स आलम शेख ने अपने बचपन में ही खेलों के प्रति गहरा रुझान दिखाया। मछली पकड़ना, कुश्ती, क्रिकेट, टिपकैट और तैराकी उनके रोज़मर्रा के खेल थे। उनकी माँ शकीला खातून ने हमेशा उन्हें प्रेरित किया और उनके नाना एक प्रसिद्ध पहलवान थे, जिनकी कहानियाँ शम्स के लिए मार्गदर्शन बनीं।

दो वर्ष की उम्र में वे अपने गांव के तालाब में तैरने लगे और लोग तालियाँ बजाकर उनकी हौसलाअफज़ाई करते थे। वही तालाब आज भी गांव में मौजूद है।


शिक्षा

6 वर्ष की उम्र में वे मुंबई चले गए और मोमिनपुरा म्युनिसिपल उर्दू स्कूल, बायकुला से पढ़ाई की शुरुआत की। उन्होंने मोहम्मद हाजी साबू सिद्दीक टेक्निकल हाई स्कूल से एसएससी प्रथम श्रेणी में पास की और फिर साबू सिद्दीक पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने रिजवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी.ई. और सत्यभामा यूनिवर्सिटी चेन्नई से मानव संसाधन और संचालन में एमबीए किया।


कराटे में महारत

सेंसई उमेश मुरकर के मार्गदर्शन में शितो रयू शैली की कराटे सीखकर 2008 में ब्लैक बेल्ट प्राप्त किया। जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 50 से अधिक पदक जीते। वर्तमान में वे व्हीलचेयर कराटे में भी सक्रिय हैं।


पैरा-स्विमिंग में वैश्विक उपलब्धियाँ

2010 में रीढ़ की हड्डी में चोट के बावजूद शम्स ने तैराकी में करियर बनाया। महाराष्ट्र राज्य पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में शुरुआत कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने खुली समुद्री तैराकी में विश्व रिकॉर्ड बनाया और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराया। 2018 में जकार्ता में एशियाई पैरा गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अब वे 2026 जापान एशियाई पैरा गेम्स और 2028 लॉस एंजेल्स पैरालंपिक की तैयारी कर रहे हैं।


TEDx और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावशाली उपस्थिति

भारत के विभिन्न TEDx मंचों जैसे IIT पटना, IIM लखनऊ, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, और मथुरा, कोलकाता, चेन्नई जैसे शहरों में वे मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में सम्मिलित हुए। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित ग्लोबल स्पोर्ट्स मेंटरिंग प्रोग्राम 2018 में भाग लिया।


सम्मान और पुरस्कार

  • राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ पैरा खिलाड़ी पुरस्कार (2021)
  • बिहार सरकार द्वारा खेल सम्मान (2016-2019), बिहार खेल रत्न पुरस्कार, बिहार गौरव पुरस्कार
  • नीना फाउंडेशन से विल स्टार अवार्ड (2017)
  • जिगर अवार्ड, कर्ण पुरस्कार, युवा आइकॉन अवार्ड, शूरवीर पुरस्कार और कई अन्य सम्मान
  • सत्यभामा यूनिवर्सिटी से डिस्टिंग्विश्ड एलुमनाई अवार्ड (2022)
  • मिस्टर व्हीलचेयर इंडिया 2017 (प्रथम रनर-अप)

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उपलब्धियाँ

  • 17 अंतरराष्ट्रीय पदक (आइसलैंड, यूके, जर्मनी, कनाडा, चीन, क्रोएशिया, पोलैंड आदि)
  • 28 राष्ट्रीय पदक (ग्वालियर, गुवाहाटी, उदयपुर, बेंगलुरु, जयपुर, बेलगाम आदि)
  • 24 राज्य स्तरीय पदक (मुंबई, नागपुर, पुणे, पटना आदि)
  • समुद्री तैराकी में 8 किमी, 6 किमी और 2 किमी की सफल तैराकी

अंतिम संदेश

शम्स आलम की कहानी सिर्फ जीत की नहीं, बल्कि आत्मबल, संकल्प और सामाजिक बदलाव की कहानी है। वे विकलांगता को बाधा नहीं, बल्कि नए अवसर के रूप में देखते हैं। ’60 सेकंड्स टू फेम’ जैसे मंचों पर उनकी उपस्थिति समाज को यह संदेश देती है कि सशक्तिकरण केवल शब्दों से नहीं, कार्यों से आता है।