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मोदी के मुस्लिम विरोधी बयानों का मतलब, क्या बीजेपी सत्ता से बाहर हो रही ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

‘मोदी की गारंटी’ शीर्षक से पिछले सप्ताह जारी किए गए 60 पेज के भारतीय जनता पार्टी के घोषणा-पत्र से लग रहा था कि राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक, सीएए, अनुच्छेद 370 जैसे पुराने वादे पूरे करने के सहारे वह तीसरी बार आराम से सत्ता में लौट आएगी. मगर जिस तरह से मोदी के लगातार मुस्लिम विरोधी और मुसलमानों को लेकर हलके बयान सामने आ रहे हैं, उससे स्पष्ट संकेत है कि पहले चरण के मतदान के साथ ही बीजेपी को सत्ता से बाहर होने का एहसास हो गया है.

नरेंद्र मोदी अपनी जनसभा में बारबार ‘हिंदू-मुस्लिम कार्ड’ खेलकर वोटरों का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास कर रहे हंै. ऐसा तभी होता है, जब किसी नेता या दल के जीतने की संभावना बहुत कम हो जाए.

राजस्थान में जनसभा मंे मुस्लिम विरोधी बयान देने से गरमाया माहौल अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि उन्हांेने रमजान के दिनों में कर्नाटक में हनुमान चालीसा बजाने को लेकर मुहल्लांे के लड़कों के बीच हुई मामूली मार-पीट की घटना को चुनावी जनसभा में ऐसे पेश किया मानों देश के बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक मुसलमान हनुमान चालीसा पढ़ने नहीं दे रहे हैं.

जबकि देश की एक सौ चालीस करोड़ की आबादी में ऐसी घटनाएं आम हैं. मंगलवार को जब मोदी का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, उस दौरान भी ऐसी कई घटनाएं सामने आईं जिसमें हिंदुआंे का एक वर्ग कतिपय मुसलमानों को परेशान और प्रताड़ित करता नजर आ रहा है.

ऐसा ही एक वीडियो एक्स पर मिल्लत टाइम्स ने शेयार किया गया है, जिसमंे बताया गया कि रामनवमी के दिन कैसे बिहार के चंपारण में मुसलमानों के साथ कुछ हिंदुआंे ने ज्यादतियां कीं. उन्हें पलायन करना पड़ा.इसी तरह एक्स पर एक पोस्ट ललनपोस्ट ने साझा किया है जिसमें राजस्थान के बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी को यह कहते बताया गया है कि उन्हांेने कहा है-‘‘जब नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे तो बाबर का बच्चा जयश्रीराम बोलेगा.’’

जोशी को पता है कि बाबर का अब देश में कोई वंशज नहीं बचा है. तो आखिर वो किस ओर इशारा कर रहे हैं ? जाहिर है हिंदुओं की ओर तो इशारा कर नहीं रहे होंगे, क्यों कि वह पहले से ही श्रीराम के भक्त हैं.एक अन्य वीडियो में दिल्ली में किसी जगह कुछ लड़के एक टोपीधारी मुसलमान बच्चे को सड़कों पर परेशान करते नजर आए. जब कि हैदाराबाद में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी उम्मीदवार ने एक मस्जिद की ओर तीर बनाकर उसे निशाना बनाने का इशारा किया था.

ऐसी सड़क छाप घटनाओं पर यदि देश का प्रधानमंत्री सार्वजनिक मंच से प्रतिक्रिया दे, तो इससे उसकी मनोदशा का पता चलता है.नरेंद्र मोदी की इन बयानबाजियों का ही नतीजा है कि भारत विरोधी सक्रिय हो गए हैं. अल-जजीरा ने इसपर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है. पाकिस्तान के नामचीन जर्नलिस्ट हामिद मीर जनसमत संग्रह करवा रहे हैं कि इस मुददे को संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचाया जाए.

इस बीच अमेरिका से भी एक महत्वपूर्ण खबर आई है. इसमें दावा किया गया है कि भारत में अल्पसंख्यकों, पत्रकारों और असंतुष्टों पर हमले हो रहे हैं.मानवाधिकारों पर अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में दुर्व्यवहार हुआ और देश के बाकी हिस्सों में अल्पसंख्यकों, पत्रकारों और असंतुष्टों पर हमले हुए.

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों रॉयटर्स और एएफपी के अनुसार, एक साल पहले एक अदालत के आदेश के बाद कुकी जनजाति को विशेषाधिकार दिए जाने के बाद से मणिपुर में कुकी और मैती जनजातियों के बीच हिंसक घटनाएं देखी गई हैं, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे गए.अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, मई से नवंबर के बीच मणिपुर में 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.

वाशिंगटन में भारतीय दूतावास से रिपोर्ट पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत के अन्य हिस्सों में हुई घटनाओं का हवाला दिया है जिसमें सरकार और उसके सहयोगियों ने सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया आउटलेट्स पर दबाव डाला या उन्हें परेशान किया.

उदाहरण के लिए, बीबीसी द्वारा हिंदू राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचनात्मक डॉक्यूमेंट्री जारी करने के बाद आयकर विभाग ने 2023 की शुरुआत में बीबीसी कार्यालयों की तलाशी ली. भारत सरकार ने उस समय कहा कि छापेमारी कोई प्रतिशोध की कार्रवाई नहीं.

पत्रकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय अधिकार संगठन, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा 2023 प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को 180 देशों में से 161वें स्थान पर रखा है, जो देश का अब तक का सबसे निचला स्थान है.अमेरिकी समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों ने हिंसा और दुष्प्रचार सहित भेदभाव की सूचना दी.नरेंद्र मोदी अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार से इनकार करते हैं. कहते हैं कि उनकी नीतियों का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को लाभ पहुंचाना है.

मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि मोदी राज में हालात और खराब हो गए हैं. अब मोदी के हालिया बयानों ने अमेरिका की ऐसी एजेंसियों को भारत विरोध आंदोलन चलाने केलिए एक तरह से खाद-पानी उपलब्ध करा दिया है.

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