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प्रोफेसर नईमा खातून कौन हैं जो AMU की पहली महिला कुलपति बनीं

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, अलीगढ़

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में एक नया इतिहास रचा गया है. इसके 103 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ. प्रोफसर नईमा खातून इस सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहली महिला कुलपति बनी हैं. इस पद की दौड़ में फैजान मुस्ताफा जैसे दिग्गज कानून विशेषज्ञ शामिल थे, पर प्रो नईमा ने उन्हें भी पछाड़ दिया.

आइए जानते हैं कि प्रोफेसर नईमा खातून कौन हैं, उन्हें 103 साल के एएमयू के इतिहास मंेे पहला महिला कुलपति होने का गौरव प्राप्त हुआ है.विश्वविद्यालय के नए कुलपति के चयन के लिए एक पैनल का गठन किया गया था. इस पैनल में प्रोफेसर नईमा खातून भी शामिल थीं. पैनल ने उनके नाम को मंजूरी दे दी और उनका नाम आगे बढ़ा दिया. अब नईमा खातून को एएमयू का नया वीसी चुना गया है.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति भी सरकार की नीति को स्पष्ट करती है. पिछली बार सरकार ने जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रोफेसर नजमा अख्तर को पहली महिला कुलपति बनाया था.अब वही इतिहास दोहराया गया है. वीसी के ऐलान के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई थी.

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आदर्श आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से मंजूरी मांगी गई थी. आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, ष्महिला कॉलेज की प्रिंसिपल नईमा खातून को पांच साल की अवधि के लिए एएमयू का कुलपति नियुक्त किया गया है. ईसीआई ने कहा है कि उसे एएमयू कुलपति की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव पर आदर्श आचार संहिता से कोई आपत्ति नहीं है. बशर्ते इससे कोई राजनीतिक लाभ न लिया जाए.

विश्वविद्यालय की स्थापना 1920 में हुई थी

बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना दिसंबर 1920 में हुई थी. विश्वविद्यालय की चांसलर महिला बेगम सुल्तान जहां थीं जबकि पहले कुलपति महमूदाबाद के राजा मुहम्मद अली मुहम्मद खान थे. यूनिवर्सिटी के कुलपति के पैनल में कभी किसी महिला का नाम शामिल नहीं हो सका.

दरअसल, कुछ महीने पहले जब राष्ट्रपति को नए कुलपति की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय से दावेदारों की सूची भेजी गई तो उसमें प्रोफेसर नईमा खातून का नाम भी शामिल था.

प्रो नईमा एएमयू महिला कॉलेज की प्राचार्य एवं कार्यवाहक कुलपति प्रो. मुहम्मद गुलरेज की पत्नी हैं. एएमयू कोर्ट ने राष्ट्रपति को तीन नाम भेजे थे, जिनमें प्रो. एमयू रब्बानी, प्रो. नईमा खातून, प्रो. फैजान मुस्तफा था. इनमें प्रो. नईमा खातून को एएमयू का कुलपति बनाया गया.

नईमा खातून, वर्तमान में प्रोफेसर (मनोविज्ञान और शैक्षिक विज्ञान) और महिला कॉलेज की प्रिंसिपल और कौशल विकास और कैरियर योजना केंद्र की निदेशक – ओडिशा से हैं. उन्होंने 1981 में एएमयू से अपनी पहली डिग्री प्राप्त की जब वह बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) मनोविज्ञान (ऑनर्स) परीक्षा में तीसरे स्थान पर रहीं. 1988 से एएमयू में सहायक प्रोफेसर के रूप में पढ़ाते हुए उन्होंने हिंदू और मुस्लिम युवाओं में राजनीतिक अलगाव और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक सहसंबंधों के पैटर्न का तुलनात्मक अध्ययनश् पर अपनी थीसिस जारी रखी.

उनके पास 2009-11 के दौरान विभिन्न हॉलों के प्रोवोस्ट और वार्डन और डिप्टी प्रॉक्टर के रूप में काफी प्रशासनिक अनुभव है. वह वेतन इक्विटी और शुल्क युक्तिकरण समिति जैसी कई महत्वपूर्ण समितियों की सदस्य भी रही हैं. 1999-2000 में उन्होंने रवांडा के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान और शैक्षिक विज्ञान संकाय में एसोसिएट प्रोफेसरध्रीडर के रूप में भी कार्य किया.

नईमा खातून ने स्वीकार किया कि वह उन जिम्मेदारियों से अवगत हैं जो विशेष रूप से विश्वविद्यालय और उसके बाहर महिलाओं द्वारा दी गई हैं. उन्होंने कुलपति पद के लिए नामांकित होने के बाद कहा कि विश्वविद्यालय में कोई भेदभाव नहीं है, लेकिन मैं सकारात्मक कार्रवाई करूंगी महिलाओं के लिए. हालांकि यूनिवर्सिटी ने महिलाओं को अवसर और उनकी उचित हिस्सेदारी दी है.

नईमा खातून कहती हैं कि वह चाहती हैं कि उनका उदाहरण महिलाओं को सिखाए कि ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे वे पुरुषों की तुलना में अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से नहीं कर सकती हैं। महिलाएं जन्मजात बहु-कार्यकर्ता, योजनाकार, वित्त प्रबंधक आदि होती हैं. कोई भी महिला ये ना सोचे कि ये काम मेरे बस का नहीं है.

प्रोफेसर नईमा खातून, जो जुलाई 2014 से एएमयू के महिला कॉलेज की प्रिंसिपल हैं, ने मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र नैदानिक, स्वास्थ्य, व्यावहारिक सामाजिक और आध्यात्मिक मनोविज्ञान है.

वह अक्टूबर 2015 से सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट एंड करियर प्लानिंग, एएमयू की निदेशक भी हैं.राजनीतिक मनोविज्ञान में पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज, दिल्ली और एएमयू में काम किया, वह अगस्त 1988 में लेक्चरर, अप्रैल 1998 में एसोसिएट प्रोफेसर और जुलाई 2006 में प्रोफेसर बनीं.

उन्होंने एक शैक्षणिक वर्ष के लिए रवांडा के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया.प्रोफेसर नईमा खातून ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया और शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं. व्याख्यान देने के लिए यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के कई विश्वविद्यालयों का दौरा किया है.

छह पुस्तकों का लेखन/सह-लेखन/संपादन करने और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की पत्रिकाओं में कई पत्र प्रकाशित करने के बाद, उन्होंने 15 पीएचडी थीसिस और बड़ी संख्या में शोध प्रबंधों का पर्यवेक्षण किया है.उन्हें शैक्षिक प्रशासन में भी काफी अनुभव है. उन्होंने इंदिरा गांधी हॉल और अब्दुल्ला हॉल में प्रोवोस्ट (दो बार) और डिप्टी प्रॉक्टर के रूप में कार्य किया है.

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