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जामिया और जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज, एरफर्ट के बीच शैक्षणिक सहयोग को नई उड़ान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के समाज कार्य विभाग की एक शैक्षणिक टीम ने जर्मनी के प्रतिष्ठित Fachhochschule Erfurt (University of Applied Sciences, Erfurt) के साथ एक गहन अकादमिक एक्सचेंज प्रोग्राम सफलतापूर्वक संपन्न किया। 15 से 26 जून 2025 तक चली इस यात्रा ने दोनों संस्थानों के बीच लंबे समय से चले आ रहे समझौता ज्ञापन (MoU) को एक सशक्त और क्रियाशील रूप दिया।

इस प्रतिनिधिमंडल में बीए (ऑनर्स) सोशल वर्क और एमए सोशल वर्क कार्यक्रमों के 12 मेधावी छात्र शामिल थे, जिनका नेतृत्व विभाग के दो वरिष्ठ शिक्षकों — डॉ. हबीबुल रहमान वी.एम. और डॉ. आसिया नसरीन — ने किया।


🌍 थीम: बदलते समाज में हाशियाकरण और सामाजिक कार्य की भूमिका

इस शैक्षणिक दौरे का केंद्रीय विषय था — “बदलते समाज में हाशिए पर रहना, बहिष्कार और सामाजिक कार्य”। इस विषय के अंतर्गत प्रतिभागियों ने न केवल कक्षा में सैद्धांतिक चर्चाओं में भाग लिया, बल्कि सामाजिक संस्थानों, एनजीओ और ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा कर वास्तविक जीवन स्थितियों का अनुभव भी प्राप्त किया।

प्रतिनिधिमंडल ने एरफर्ट में आयोजित प्रतिष्ठित 11वें अंतर्राष्ट्रीय समाज कार्य दिवस सम्मेलन (ISWD) में भाग लिया, जिसका विषय था:
“समान पीढ़ियों के बीच एकजुटता को मजबूत करना — दीर्घकालिक कल्याण के लिए”


🧑‍🏫 शोध, कार्यशालाएं और शैक्षणिक प्रस्तुतियां: भारतीय दृष्टिकोण से वैश्विक मंच पर संवाद

भारतीय छात्रों ने सम्मेलन के पूर्व-पैनल सत्रों में हिस्सा लेते हुए विकलांगता अधिकारों, आश्रय गृहों की सामाजिक गतिशीलता, स्वदेशी समाज कार्य पद्धतियों और संकट में लचीलापन (resilience) जैसे विषयों पर प्रस्तुति दी।

  • डॉ. हबीबुल रहमान वी.एम. ने “Probation and Beyond: Reformative Pathways for Intergenerational Offenders in Developing Nations” पर कार्यशाला संचालित की, जो अपराध विज्ञान, पुनर्वास और समाज कार्य के संगम पर केंद्रित थी।
  • डॉ. आसिया नसरीन ने भारतीय परंपरा से प्रेरित एक सशक्त कार्यशाला “योग: सक्रिय उम्र बढ़ने के लिए प्राचीन भारतीय अभ्यास” पर आयोजित की, जिसे अंतरराष्ट्रीय श्रोताओं ने सराहा।

प्रतिभागियों ने “भागीदारी और समाज कार्य”, “प्रवास और शिक्षाशास्त्र” और “बाल संरक्षण एवं CRC (बाल अधिकार कन्वेंशन)” जैसे समकालीन विषयों पर आधारित सत्रों में भी भाग लिया। यह सहभागिता न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान थी, बल्कि वैश्विक संदर्भ में भारत की समाज कार्य परंपराओं का प्रतिनिधित्व भी था।


🏞️ अनुभवात्मक शिक्षा और सांस्कृतिक संवाद

प्रतिनिधिमंडल ने जर्मनी के दो ऐतिहासिक स्थलों की भी यात्रा की:

  • बुचेनवाल्ड कंसंट्रेशन कैंप: नाजी शासन के अत्याचारों की ऐतिहासिक गवाही देता यह स्थल छात्रों के लिए एक भावनात्मक और नैतिक दृष्टिकोण से गहन अनुभव रहा।
  • बर्लिन की दीवार: विभाजन और पुनर्मिलन के प्रतीक इस स्थल पर युवाओं ने स्वतंत्रता, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के गहरे अर्थ को महसूस किया।

इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक शामों, कम्युनिटी गार्डन विज़िट, और सहपाठियों के साथ अनौपचारिक संवाद ने संबंधों को मानवीयता के धरातल पर और प्रगाढ़ किया।


🤝 साझा समीक्षा और भविष्य की दिशा

कार्यक्रम का समापन एक संयुक्त समीक्षा सत्र से हुआ, जिसमें दोनों विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भविष्य में और गहन सहयोग की दिशा में प्रतिबद्धता जताई। इस समीक्षा ने न केवल शिक्षण का मूल्यांकन किया, बल्कि द्विपक्षीय शैक्षणिक कूटनीति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित किया।


🙏 संबंधों की गर्मजोशी और कृतज्ञता का भाव

प्रतिनिधिमंडल ने प्रोफेसर क्रिस्टीन रेहक्लाऊ और एफएच एरफर्ट की समस्त टीम को उनके आतिथ्य, प्रशासनिक सुगमता और उत्कृष्ट शैक्षणिक नेतृत्व के लिए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया।


✍️ निष्कर्ष: वैश्विक नागरिकता की ओर एक शिक्षण यात्रा

यह आदान-प्रदान न केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम था, बल्कि यह सामाजिक न्याय, समानता और सांस्कृतिक समझ की साझा भावना पर आधारित एक वैश्विक नागरिकता की ओर कदम था। जामिया मिल्लिया इस्लामिया और यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज, एरफर्ट की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में समाज कार्य शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण बन सकती है।